बूंदीPublished: Jun 25, 2019 12:47:54 pm
पंकज जोशी
पाईबालापुरा बांध में पानी है। विभाग के अभियंता 10 नलकूप भी चलना बता रहे हैं।
बिगड़ रहा जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग का वितरण प्रबंधन,झेलना पड़ रहा जल संकट
नैनवां. पाईबालापुरा बांध में पानी है। विभाग के अभियंता 10 नलकूप भी चलना बता रहे हैं। नलकूपों से इतना पानी उत्पादन हो रहा है कि कस्बे में प्रतिदिन जलापूर्ति हो सकती है, लेकिन वितरण व्यवस्था बिगड़ी होने से कस्बे को पानी का संकट झेलना पड़ रहा है।
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के बिगड़े प्रबंधन से कस्बे में दो से तीन दिन में मात्र 20 से 25 मिनट ही जलापूर्ति हो पा रही है। जलापूर्ति का समय भी तय नहीं रहा। किसी जोन में सुबह तो किसी जोन में रात को पानी पहुंच पा रहा है। विभाग के सूत्रों की माने तो नलकूपों में पानी की कोई कमी नहीं है। प्रबंधन बिगड़ा होने से जलापूर्ति व्यवस्था बिगड़ी हुई है। बांध में बंद नलकूपों को चालू नहीं किया जा रहा है। टोडापोल के तीन नलकूपों में पानी की भरमार है। जिनको आधे ही दिन चलाया जा रहा है। बांध की भराव क्षमता बढऩे के साथ पुनर्गठित पेयजल योजना के मद से ही 6 नए नलकूप स्वीकृत हुए थे। नलकूपों को बांध भराव क्षेत्र के बाहर खुदवाना था। नलकूपों को जलदाय विभाग की ओर से बांध के भराव क्षेत्र के बाहर खुदवाने की बजाए बांध के अन्दर खुदवा दिए। डूबे रहने से नलकूपों की खुदाई पर खर्च हुई राशि भी पानी में चली गई है।
एक जलाशय और दर्जन बस्तियां
कस्बे के परकोटे के बाहर के जोन में जलापूर्ति व्यवस्था ज्यादा बिगड़ी हुई है। परकोटे के बाहर की राजीव कॉलोनी, विवेकानंद कॉलोनी, किसान नगर, भगतसिंह कॉलोनी, टीचर्स कॉलानी, प्रताप आवासीय कॉलोनी, बस स्टैण्ड, गढपोल, उनियारा रोड, मोटर मार्केट, बसंत विहार, ज्योति नगर, जयपुर रोड, नगर रोड पर मोटर मार्केट के पास बने उच्च जलाशय से जलापूर्ति की जाती है। उच्च जलाशय की भराव क्षमता से पांच गुणा ज्यादा पानी एकत्रित हो तब ही इन बस्तियों में पर्याप्त जलापूर्ति हो सकती है। प्रताप कॉलोनी में तो दो से तीन दिन में एक बार जलापूर्ति हो पा रही है।
भराव क्षमता बढ़ाने से नहीं सुधरी व्यवस्था
वर्ष 2025 तक आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जलदाय विभाग ने अपने खर्चे पर जल संसाधन विभाग से 23 फीट से 25 फीट तक ऊंचाई बढ़ाने का काम कराया था। जिसमें दो करोड़ 31 लाख रुपए खर्च बांध की भराव क्षमता बढ़ाने के लिए तथा पौने तीन करोड़ की राशि खर्च करके पेयजल योजना से नैनवां तक पानी पहुंचाने के लिए एक और पाइप लाइन बिछाई गई थी। बावजूद यहां की आबादी को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।
व्यवस्था क्यों बिगड़ रही है इसको दिखवा रहे हैं। पानी का उत्पादन तो हो रहा है, लेकिन उसको एकत्रित करने के लिए पर्याप्त जलाशयों की कमी है। एक-एक जलाशय को दो-दो बार भरकर जलापूर्ति की जा रही है।
मनोज नागर, कनिष्ठ अभियंता, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, नैनवां