वक्ताओं ने महिलाओं के सशक्त भारत निर्माण में उनके योगदान के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि महिला दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य यह है कि बचपन से ही युवा पीढ़ी के मन में महिलाओं के लिए सम्मान पैदा हो। संचालन व्याख्याता भूपेंद्र शर्मा ने किया।
समाज के निर्माण का आधार है नारी
मुख्य अतिथि सीमा पौद्दार ने कहा कि आज की महिला निर्भर नहीं हैं। वह हर मामले में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हैं और पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम भी हैं। हर महिला विशेष होती है, चाहे वह घर पर हो या ऑफिस में। वह अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला रही हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों की परवरिश और घर बनाने में एक प्रमुख भूमिका भी निभाती है।
प्रधानाचार्य कनक शर्मा ने कहा कि पुरानी सोच से अब की सोच काफी बदली है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में एक्टिव है और अपना परचम लहरा रही है। कभी भी परिस्थितियों में घबरा नहीं चाहिए,उसका डटकर मुकाबला करें।
नीतू नुवाल ने कहा कि नारी जीवन भर एक सशक्त नायिका का रोल निभाती है। वह हर रूप को समय के साथ आत्मसात कर लेती है। उन्होंने कहा कि ये जीवन खुले आसमान की तरह है। जहां आप बड़े सपने के पंख फैलाओं और उत्साह एवं जुनून के साथ उनको पाने की उड़ान भरो। नुवाल ने कहा कि राजस्थान पत्रिका वह मजबूत कड़ी, जो जनता की आवाज को जनता तक सटीक रूप से पहुंचाती है। अनिता हरसोरा ने कहा कि देश से अभी पूरी तरह रूढि़वादिता खत्म नहीं हुई है। इसके चलते भी महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सोच बदलने की शुरुआत घर से हो।