पुजारी रमेश के करवाला की झोंपडिय़ा निवासी बेटे महेश गोस्वामी ने पुलिस को सौंपी रिपोर्ट में बताया था कि पिता तिलकेश्वर (तिलभांडेश्वर) मंदिर में पूजा करने के साथ ही पत्नी के साथ धर्मशाला में ही रह रहे थे। तीन माह पहले बालकदास महाराज ने मंदिर में आकर धर्मशाला से निकलने के लिए प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। इसके लिए आए दिन गाली-गलौज करने लगा। 15 फरवरी को मंदिर में बैठक की, जिसमें मंदिर समिति से जुड़े लोगों व ग्रामीणों के साथ मिलकर उन्हें धर्मशाला से निकलने को कहा। नहीं निकलने पर थाने में रिपोर्ट करने के लिए धमकाया। इसी रात उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में सुसाइड कर लिया। इसकी सूचना मां ने फोन पर दी थी। सूचना पर परिजन पहुंचे तो पिता शिवलिंग के निकट ही खून से लथपथ होकर पड़े थे। उन्हें नदी पार लाकर बूंदी जिला चिकित्सालय में लेकर गए। जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। उन्होंने प्रताडऩा के आगे मौत को गले लगा लिया।
महाराज बालकदास, मंदिर समिति से जुड़े जयस्थल निवासी पूर्व सरपंच ओम जांगिड़, बंटी शर्मा, गोलू शर्मा, महेश शर्मा, दुलीचंद मीणा, मुरली शर्मा, नेताजी धाकड़, पीपलदा निवासी देवराज मीणा, मोतीलाल मीणा, देवलाल मीणा व सुवासा निवासी आचार्य ने मिलकर धर्मशाला खाली करने का दबाव बनाया। इस रिपोर्ट पर पुलिस ने सभी एक दर्जन लोगों के खिलाफ पुजारी रमेश को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज कर लिया। मामले की जांच थानाधिकारी बुद्धराम करेंगे।
महादेव का परमभक्त था पुजारी रमेश
रमेश की तीन पीढिय़ां तिलभांडेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना करते आ रही थी। महादेव मंदिर में अवैधानिक गतिविधियां करने वालों को प्रवेश के रमेश सख्त खिलाफ था। नशेडिय़ों और गंदगी करने वालों को प्रवेश की अनुमति नहीं देता था। इसी का परिणाम था कि वह कई लोगों की आंख की किरकिरी बना हुआ था।
कहता था : इसे छोडकऱ नहीं जाउंगा
जानकारों ने बताया कि 55 वर्षीय पुजारी रमेश नियमों का पक्का था। जब समिति से जुड़ेे लोगों ने उसे मंदिर से निकलने के लिए प्रताडि़त करना शुरू किया तो आने वाले श्रद्धालुओं से यही कहा करता बताया था कि महादेव को छोडकऱ कहीं नहीं जाउंगा। पुलिस की प्रारंभिक जांच और मौके पर मिले साक्ष्यों से पहले दिन ही यह स्पष्ट हो चुका था कि पुजारी ने गर्भगृह में जाकर स्वयं को शंख घोंप लिया। इससे रक्त लगातार बहता गया। पुजारी के खून से लथपथ होने के बाद पूरा शिवलिंग सन चुका था, पुलिस को रक्त गौमुखी तक बहता दिखा।