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बाग में लगे पेड़ -पौधे सूख गए। रियासत कालीन बाग की देखरेख का जिम्मा आजादी के बाद पंचायत समिति को सौंपा गया था। दो दशक पहले बाग का अस्तित्व लौटाने के लिए तत्कालीन पंचायत समिति प्रधान रामधन सोमानी ने पूरा प्रयास किया, लेकिन उनके कार्यकाल के बाद ही पंचायत समिति प्रशासन ने बाग की दशा खराब कर दी। बाग का आलम यह था कि यहां पर सैकड़ों की संख्या में पेड़ पौधे होने से सूर्य की किरण भूमि पर नहीं पड़ती थी। यहां पर सैकड़ों की संख्या में जिले भर से लोग भ्रमण के लिए आते थे। अब बाग में पानी भरा रहने लग गया। पेड़ सूखकर गिर गए। कुछ को ग्रामीण काटकर ले गए।
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उजड़ गया पार्क
पंचायत समिति की ओर से यहां पर लाखों रुपए खर्च कर एक पार्क का निर्माण करवाया गया था। जिसमें बच्चों के खेलने के लिए झूला, चकरी एवं बैठने के लिए व्यवस्था की गई थी। लेकिन देखरेख के अभाव में पार्क उजड़ गया।
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जल्दी ही बाग के लिए बजट स्वीकृत कर पानी निकासी एवं अन्य कार्य शुरू किया जाएगा। बाग की सुंदरता फिर से निखरे इसे लेकर प्रयास किया जाएंगे।
कृष्णा माहेश्वरी, प्रधान पंचायत समिति, हिण्डोली