बूंदीPublished: Nov 15, 2021 08:28:17 pm
पंकज जोशी
जन्मदिन हो या विवाह की वर्षगांठ या फिर कोई विशेष अवसर और त्योहार। आज खुशियों का जश्न केक काटकर मनाया जाने लगा है। केक खुशियों को मनाने का एक जरिया बन गया है।
केक का क्रेज: पांच साल में खुल गई सौ से अधिक दुकानें
बदलते परिवेश में खुशियों का जश्न हुआ दोगुना, हर आयोजन पर बूंदी में कटने लगा केक
ग्राहक की मनपसंदीदा पर बनाए जाते हैं आकर्षण केक
बूंदी जिले में रोजाना दो से ढाई हजार से अधिक केक की बिक्री
बूंदी. जन्मदिन हो या विवाह की वर्षगांठ या फिर कोई विशेष अवसर और त्योहार। आज खुशियों का जश्न केक काटकर मनाया जाने लगा है। केक खुशियों को मनाने का एक जरिया बन गया है। बदलते परिवेश में केक अब सिर्फ जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ तक सीमित नहीं रहा है। कई प्राइवेट कंपनियों और बंैकिंग संस्थाओं ने अपने टारगेट पूरा होने पर केक काटने का रिवाज ही बना लिया है। केक के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है कि दुकानदारों ने इसे नया बाजार का रूप दे दिया है। जूस की दुकान हो या फिर रेस्टोरेंट या फिर परचून की दुकानें, जहां देखों वहां केक आसानी से मिलने लगा है। बूंदी जिले में प्रतिदिन दो से ढाई हजार केक की बिक्री होती है। यही नहीं जिस केक की वैरायटी मांगे वो उपलब्ध रहती है। बीते कुछ वर्षों में यहां जिला मुख्यालयों में 100 से अधिक दुकानें खुल चुकी है। जिले में भी इसके व्यापार में बढ़ोतरी हुई है।
दुकान संचालकों के अनुसार हर त्योहार, आयोजन पर केक काटा जाने लगा है। कोरोना के बाद से इसके कारोबार में इजाफा हुआ है। अब हर घर में भी इसका प्रचलन शुरू हो गया है।
पहले बच्चों तक सीमित, अब हर वर्ग की पसंद
पहले केक की खरीदारी बच्चों तक सीमित थी, लेकिन इस केक ने लोगों को रोजगार का रास्ता दिखा दिया है। पांच साल पहले केक लेने के लिए लोगों को शहर की चुनिंदा दुकानों पर जाना पड़ता था, बदलते दौर के साथ इसके कारोबार में काफी इजाफा हुआ है। दुकानदारों का कहना है कि पहले 60 साल से अधिक वाले करीब 90 फीसदी लोगों ने अपने जन्मदिन पर कभी केक नहीं कटवाया था, लेकिन अब गत पांच सालों में ऐसे लोगों के जन्मदिन पर उनके परिवारिक सदस्य केक कटवाने लगे हैं।
यह केक प्रचलन में ज्यादा
केक में कई तरह की वैरायटी आती है। केक 100 रुपए से शुरू होकर 500-600 रुपए तक मिलता है। इसमें ऑर्डर वाले अलग है। गोपाल सिंह प्लाजा स्थित ब्रेकरी संचालन गौरव नायक बताते है कि सबसे ज्यादा केक चॉकलेट, फू्रट केक, कसाटा, रेड वेलबेट केक, बटर स्कॉच, पाइनेएपल केक ज्यादा प्रचलन में है। इसके अलावा ऑर्डर वाले केक में ग्राहक अपनी मनपसंद केक बनाते है। इसमें खासकर कार्टून वाला, अल्फाबेट केक (नाम वाले केक), फानडेंट केक, त्योहार पर जैसे कान्हा जन्मोत्सव, न्यू ईयर, दीपावली में पटाखें वाली चॉकलेट बनाए जाते है। बूंदी शहर में एक पौंड से 45 पौंड तक का केक बन चुका है।
होम बैकिंग का भी बढ़ा चलन
कोरोना के बाद से केक का काफी चलन बढ़ गया है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शहर में दुकानें तो बढ़ी साथ ही घर में भी होम बैकिंग केक का प्रचलन शुरू हो गया है। शहर के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां महिलाओं ने घर पर ही केक बनाने का कारोबार शुरू कर दिया है। घर पर केक का कारोबार कर रही मंजू ठग का कहना है कि आज केक हर वर्ग की पसंद बन गया। जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ के अलावा हर विशेष त्योहार, कार्यक्रम पर केक के ऑर्डर दिए जा रहे हैं। ऑर्डर पर ग्राहकों के मनपसंद केक बनाया जा रहा है।
बूंदी के सब्जी मंडी रोड ब्रेकरी के संचालक दीपक जयसिंघानी ने कहा कि ग्राहकों की पसंद पर केक बनाए जाते हैं। ज्यादातर चॉकलेट, पाइनेपल, स्ट्रोबेरी और वनीला वैरायटी के केक बिकते हैं। बच्चों के लिए कार्टून वाले केक विशेष रूप से तैयार कराए जाते हैं। जिसका जन्मदिन होता है,उसका नाम ऐनवक्त पर लिखा जाता हैं। आकर्षक पैकिंग में गिफ्ट के रूप में भी केक का चलन अधिक बढ़ गया है।
देवपुरा में ब्रेकरी संचालक लक्ष्य पाटनी का कहना है कि युवाओं में केक खरीदने की अधिक ललक रहती है। गली-मोहल्ले में भी केक की खरीददारी बढऩे लगी है। यहां आसपास के लोगों को सुविधा अनुसार केक मिल जाता है। उन्हें कई दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। 100 रुपए से लेकर 500 रुपए तक के केक उपलब्ध हैं। ऑर्डर पर भी केक बनाए जाते हैं।