शोर शराबे से खतरे में घडिय़ाल, चम्बल किनारे सरकारी भूमि पर भू-माफियाओं का कब्जा
वन सम्पदा से सरसब्ज क्षेत्र में चम्बल नदी के किनारे अब सुरक्षित नहीं रहे।

शोर शराबे से खतरे में घडिय़ाल, चम्बल किनारे सरकारी भूमि पर भू-माफियाओं का कब्जा
अतिक्रमण की चपेट में आई कीमती जमीनें
केशवरायपाटन. वन सम्पदा से सरसब्ज क्षेत्र में चम्बल नदी के किनारे अब सुरक्षित नहीं रहे। चम्बल नदी के किनारे जहां-जहां भी सरकारी भूमि थी, वहां पर भू-माफियाओं ने कब्जा करना शुरू कर दिया। वर्षों पुराने टीलों की मिट्टी खोदकर लोगों ने समतल कर लिया। अब तो मानों इसे अभियान का ही रूप दे दिया।
जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते करोड़ों रुपए की जमीनें तैयार कर ली। यहां राजराजेश्वर महादेव मंदिर से चम्बल नदी के किनारे कई जगह बाड़े बनाकर अतिक्रमण कर लिया। राजराजेश्वर महादेव मंदिर के पास वन विभाग व राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभयारण्य का कार्यलय है। कार्यालय से कुछ दूरी पर ही लोगों ने टीलों को खोदकर जमीन निकाल ली। लोग अतिक्रमण कर रहे, लेकिन उनको रोकने की पहल नहीं की जा रही। दोनों विभागों की कथित लापरवाही से अब जंगल में ही मंगल हो गया। चम्बल नदी के किनारे वन व राष्ट्रीय चम्बल घडियाल अभयारण्य क्षेत्र की भूमि में वन व घडिय़ाल गायब हो गए। शोर शराबे की वजह से घडिय़ालों का जीवन मानों संकट में आ गया। केशवरायपाटन से सूनगर तक अतिक्रमण की बाढ़ आ गई। अतिक्रमण की वजह से जंगल तो गायब हो गया, अब घडिय़ालों ने अपनी जगह छोडकऱ पलायन करना शुरू कर दिया। कोटा बैराज डाउन स्ट्रीम के नीचे सूनगर तक घडिय़ालों की संख्या दिनोंदिन कम हो गई। कोटा से केशवरायपाटन तक तो घडिय़ाल नजर ही नहीं आते।
जानकार सूत्रों की माने तो घडिय़ाल शांत क्षेत्र में रहना पसंद करते बताए। यह क्षेत्र शांत नहीं रहा। रातदिन ट्रैक्टरों की आवाजाही एवं खेती करने से कीटनाशक दवाओं के प्रभाव से अधिकतर घडिय़ाल लुप्त हो गए।
दोहरा लाभ उठा रहे अतिक्रमी
घडियाल अभयारण्य, वन विभाग के पास कितनी भूमि है यह स्पष्ट नहीं।सीमा ज्ञान नहीं होने से दोनों विभाग असहाय बने हुए हैं। विभागों के तालमेल के अभाव में वन सम्पदा का दोहन खुले में हो रहा है। हजारों बीघा भूमि पर अतिक्रमण कर लोग खेती कर रहे हंै। जमीन निकलने से पहले ऊंचे टीलों को जेसीबी से खोदकर पहले समतल करते है। मिट्टी को बैचकर खेती योग्य जमीन बनाते हैं। जहां समतल है, वहां के बबूल काटकर लकड़ी को बेच देते हैं, जमीन को काश्त योग्य बना लेते हैं। चम्बल के किनारे बजरी का अथाह भण्डार भी इन लोगों के कब्जे में है। लोग वन सम्पदा को तो नष्ट कर रही रहे है, साथ में पत्थर, बजरी, लकडिय़ों को बेचकर अच्छी आमदनी कर रहे है। इन अवैध गतिविधियों से अनजान बने विभाग के पास रोकने का कोई विकल्प नहीं है।
अधिकारियों का मत
राष्ट्रीय चम्बल घडिय़ाल अभयारण्य क्षेत्र पर कोई अवैध खनन नहीं हो रहा। अभयारण्य की सीमा केशव घाट से 200 मीटर की दूरी से शुरू होती है। जहां लोगों ने बाड़े बना रखे थे, उनको हटा दिया। राजराजेश्वर महादेव मंदिर से मुक्तिधाम के बीच टीलों की मिट्टी खोदकर जमीन पर खेती करने वाली सीमा वन विभाग की होने से कार्रवाई नहीं कर पाते।
सुमित कनोजिया, फोरेस्टर राष्ट्रीय चम्बल घडियाल अभयारण्य, केशवरायपाटन
चम्बल नदी के किनारे टीलों से अवैध मिट्टी खुदवाई करने की जानकारी नहीं। इस मामले को दिखवा लिया जाएगा। यह क्षेत्र हमारे पास नहीं।
देवेन्द्र गुर्जर, वन अधिकारी, केशवरायपाटन
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