युद्ध की शुरुआत से ही परिवार में ङ्क्षचता का माहौल हो गया था।लेकिन शुक्रवार को देई पहुंचने पर परिवार से मिलकर बड़ा सुकून मिला। सरकार के ऑपरेशन गंगा में शुभम वापस लौटा। शुभम ने बताया कि इंडियन एम्बेसी ने बता दिया था कि यूक्रेन की सीमा पर चले जाओ वहां से आपको देश में भिजवाया जायेगा। इसके बाद रेल से हंगरी बॉर्डर पहुंचे। जहां से चोंप बॉर्डर होकर हंगरी पहुंचे। सबसे कडी परीक्षा बॉर्डर पर हुई। जहां बॉर्डर क्रॉस करने के लिए लम्बी लाइन लगी हुई थी।
माइनस तापमान में 12 से 13 घंटे खडे रहने के बाद बॉर्डर क्रॉस हुई। इसके बाद हंगरी में इंडियन एम्बेसी ने खाने- पीने, रहने की व्यवस्था कर रखी थी। बुडापेस्ट से विमान से दिल्ली आ गये। यहां पर राजस्थान सरकार ने रिसीव किया। फिर अपने घर देई पहुंचा। शुभम के पिता दीपक अधिकारी ने बताया कि बडी ङ्क्षचता थी। अब जाकर राहत मिली। लगातार मोबाइल से बात करने के बाद भी एक ङ्क्षचता हमेशा बनी रहती थी। बच्चे के आने के बाद कलक्टर ऑफिस से फोन पर सूचना मांगी इससे पहले उपखंड अधिकारी भी जानकारी लेने आये थे।
तीन माह बाद थी अंतिम परीक्षा
शुभम ने बताया कि उसकी एमबीबीएस की पढ़ाई फाइनल थी। तीन माह बाद परीक्षा होनी थी। लेकिन युद्ध की स्थिति से अब डिग्री अटक गई। जिन बच्चों की डिग्रियां अधूरी रह गई, इसके लिए भारत सरकार समाधान कराए।