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कापरेन में विद्युत निगम के सहायक अभियंता कार्यालय की दरकार

locationबूंदीPublished: Dec 03, 2019 05:36:21 pm

Submitted by:

Narendra Agarwal

कस्बे में विद्युत निगम के सहायक अभियंता पद सृजित नहीं होने से क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत सम्बंधित कई समस्याओं के समाधान के लिए 20 किमी दूर केपाटन विद्युत

दूरी पड़ रही भारी, समस्याओं का नहीं समाधान

दूरी पड़ रही भारी, समस्याओं का नहीं समाधान

-विद्युत निगम के सहायक अभियंता कार्यालय की दरकार
कापरेन. कस्बे में विद्युत निगम के सहायक अभियंता पद सृजित नहीं होने से क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत सम्बंधित कई समस्याओं के समाधान के लिए 20 किमी दूर केपाटन विद्युत निगम सहायक अभियंता कार्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे है। कस्बे से करीब 75 गांवों के उपभोक्ता जुड़े हुए हैं लेकिन अब तक यहां सहायक अभियंता का पद सृजित नही हो पाया हैं। जिससे नए विद्युत कनेक्शन लेने, मीटर बदलवाने, विद्युत बिलों में गड़बड़ी होने पर ठीक करवाने, वीसीआर, जुर्माना राशि जमा करवाने, कृषि कनेक्शन करवाने आदि कई कार्यो के लिए चक्कर काटने पड़ते हैं। अब तो बिजली खराब होने पर उसे ठीक करवाने के।लिए भी लम्बा इंतजार करना पड़ता है। बिजली ठीक करने के लिए सहायक अभियंता कार्यालय स्तर पर ही एफ टीआर का वाहन व कर्मचारी उपलब्ध है। ऐसे में शहर सहित क्षेत्र में कहीं भी घरों की बिजली खराब होने पर एफ टीआर को फ ोन से सूचना देने के बाद भी वाहन व कर्मचारी समय पर नही पहुंचते हैं। इससे उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। कई बार तो उपभोक्ताओं को एफ टीआर का वाहन नहीं पहुंचने से रात अंधेरे में काटनी पड़ती हैं। कस्बेवासियों ने कस्बे में विद्युत निगम के सहायक अभियंता का पद सृजित करने एवं कार्यालय संचालित करने की मांग की।
प्रतिबंध के बावजूद पॉलीथिन का उपयोग
कापरेन. पॉलीथिन कैरी बैग्स और सिंगल प्लास्टिक यूज पर रोक होने के बावजूद प्रशासन की सख्त कार्यवाही के अभाव में लोग धड़ल्ले से इसका उपयोग कर रहे हैं। सोमवार को कस्बे के हाट बाजार में लोग धडल्ले से पॉलीथिन का उपयोग करते नजर आए। लोगों का कहना है कि जागरूकता के अभाव और प्रशासन द्वारा सख्ती नहीं बरतने से दुकानदारों एव आमजन में भय नहीं रहता हैं और कुछ समय बाद ही पॉलीथिन का उपयोग शुरू कर देते हैं। कस्बे के आम रास्तों, सडक़ों एवं नालियों में पॉलीथिन कचरा होने से गन्दगी हो रही हैं। वही आवारा मवेशी इनको खाकर बीमारियों का शिकार हो रहे है।

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