बूंदीPublished: Dec 04, 2020 09:16:55 pm
पंकज जोशी
जहां सरकार शहर से गांव तो गांव से ढाणी को जोडऩे का दावा करती है, लेकिन वर्तमान समय में कुछ सडकें ऐसी भी है जो अपनी दुर्दशा का चित्र खुद बयां कर रही है।
आजादी के बाद भी पक्की सड़क का इंतजार
आजादी के बाद भी पक्की सड़क का इंतजार
सड़क से बनेगी मंदिर की पहचान
बने तो बूंदी व टोंक जिले की सीमा को जोड़ेगी सड़क
78 किलोमीटर से दूरी घटकर हो सकती है 50 किलोमीटर
जजावर. जहां सरकार शहर से गांव तो गांव से ढाणी को जोडऩे का दावा करती है, लेकिन वर्तमान समय में कुछ सडकें ऐसी भी है जो अपनी दुर्दशा का चित्र खुद बयां कर रही है। आजादी के इतने सालों बाद भी जर्जर अवस्था में काफी वर्षों से उपेक्षित यह सड़क बूंदी जिला के झेंठाल माताजी के पास से कुहणेश्वर महादेव के पास से होते हुए बड़ौली ग्राम पंचायत होकर टोंक जिला को जोड़ती है। टोंक व बूंदी को आपस में जोडऩे वाली इस आठ किलोमीटर की कच्ची सड़क आज भी डामरीकृत सडक़ बनने का लम्बें वर्षों से इंतजार कर रही है। यह सड़क दो जिले के एक दर्जन से ज्यादा गांवों के लिए उपयोगी है । इसी के साथ यदि सड़क बनती है तो दो जिलों को जोडऩे के लिए सेतू का काम कर सकती है।
हो जाएगा टोंक जिले से सीधा जुड़ाव
मात्र आठ किलोमीटर दूरी की इस कच्ची सड़क पर अगर डामरीकरण कर दिया जाए तो टोंक की दूरी काफी कम हो जाएगी। अभी जजावर से उनियारा होकर टोंक की दूरी 78 किलोमीटर पड़ती है। वहीं आठ किलोमीटर के जजावर से बड़ौली तक की इस सडकक़ो बना दिया जाता है तो दूरी घटकर 50 किलोमीटर ही रह जाएगी। ऐसे में बड़ौली, ठिकरिया, कनवाड़ा, बाजोली, भाणोली, संग्रामपुुरा आदि दर्जनों गांव को फायदा होगा। दोनों जिलों के ग्रामीणों को आवाजाही में सहुलियत बनी रहे। इसलिए सार्वजनिक निर्माण विभाग ने पहले भी इस सड़क को मनरेगा के तहत ग्रेवल सड़क भी बनाई थी, लेकिन वर्तमान में सड़क की हालात खराब हो रही है।
सड़क बने तो मिल सकती हैं इस मंदिर को पहचान
ग्रामीणों ने बताया कि कस्बे से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर इसी सड़क पर स्थित कुहणेश्वर महादेव का मंदिर अपनी प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण आसपास के क्षेत्र सहित बूंदी जिले में अपनी विशेष पहचान रखता है। ऐसे में यह सड़क बनती है तो इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से बढ़ावा मिलेगा।