बूंदीPublished: Dec 23, 2020 07:05:47 pm
पंकज जोशी
बूंदी शहर में होते बेतरतीब और बिना स्वीकृति निर्माण से मास्टर प्लान मटियामेट हो रहा है। शहर के सुव्यवस्थित विकास के लिए यहां वर्ष 2033 तक का मास्टर प्लान तैयार किया गया था।
मटियामेट हो रहा बूंदी का मास्टर प्लान
मटियामेट हो रहा बूंदी का मास्टर प्लान
बेतरतीब और बिना स्वीकृति करा रहे निर्माण, 2033 तक सुव्यवस्थित विकास का था सपना
जिम्मेदार ही नहीं निभा रहे जिम्मेदारी
अवैध निर्माण पर नहीं लग रही लगाम, ग्रीन बेल्ट कहीं नहीं बची
बूंदी. बूंदी शहर में होते बेतरतीब और बिना स्वीकृति निर्माण से मास्टर प्लान मटियामेट हो रहा है। शहर के सुव्यवस्थित विकास के लिए यहां वर्ष 2033 तक का मास्टर प्लान तैयार किया गया था। मास्टर प्लान में शहर को कई सपने दिखाए गए थे, लेकिन अब धड़ाधड़ होते निर्माण ने सबकुछ मानों मिटाकर रख दिया हो। मास्टर प्लान राजस्थान नगर सुधार अधिनियम, 1959 के तैयार किया गया था, लेकिन नगर परिषद के अधिकारियों का तो मानों इससे कोई सरोकार ही नहीं रहा। लोग सरकारी जमीनों को भी नहीं छोड़ रहे। ग्रीन बेल्ट तो कहीं बची ही नहीं। मास्टर प्लान में 11 कच्ची बस्तियां मानी गई थी जो अब पॉश कॉलोनियां हो गई। मास्टर प्लान में वर्ष 2033 में 2.20 लाख जनसंख्या मानी गई है।
कहां से लाएंगे इसके लिए जमीन
बूंदी में चल रही वाणिज्यक गतिविधियों से उत्पन्न होने वाले यातायात के भारी दबाव को कम करने के लिए मास्टर प्लान में 27 एकड़ जमीन जिला केंद्र के लिए बूंदी-कोटा सडक़ के पूर्व में प्रस्तावित की गई। इसमें खुदरा दुकानें, सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स, होटल, रेस्टोरेन्ट, सामुदायिक भवन, मनोरंजन केंद्र, स्वास्थ्य केंद्र, अग्निशमन केंद्र, डाक व तार घर, कार्यालय, बैंक, पुलिस स्टेशन एवं खुले स्थान का निर्माण किया जाना प्रस्तावित किया गया। अब इसके लिए जमींनें नहीं बची। इसी प्रकार बस स्टैंड के लिए हाईवे स्टेशन रोड पर 16 एकड़ जमीन प्रस्तावित की गई।
नालों पर सर्वाधिक निर्माण
शहर में इनदिनों सरकारी नालों पर सर्वाधिक अवैध निर्माण हो रहे। आस-पास की जमीन खरीदने के बाद फिर लोग नालों पर निर्माण करने से नहीं चूक रहे। नैनवां रोड क्षेत्र से निकल रहा बरसाती नाला तो पूरी तरह से जमींदोज कर दिया। नाले पर दुकानें और घर के साथ ही मेरिज गार्डन तक बना लिए। इस ओर कोई जिम्मेदार नहीं झांक रहा। जबकि दो साल पहले ही जैतसागर झील पर अतिक्रमण के कारण बूंदी बाढ़ की परेशानी झेल चुका।
आबादी के अनुरूप बना था प्लान
बूंदी शहर 2001 में 88,871 की आबादी का शहर था। सीमा का क्षेत्रफल लगभग 27.79 वर्ग किलोमीटर अर्थात 6866 एकड़ था। वर्ष 2008 में शहर का कुल नगरीय क्षेत्र लगभग 2630 एकड़ रहा, जिसमें से 2120 एकड़ विकसित क्षेत्र एवं शेष भूमि जलाशय, कृषि एवं अन्य खुली भूमि के अन्तरगत माना गया। विद्यमान भू-उपयोग की गणना के आधार पर कुल विकसित क्षेत्र का 42.74 प्रतिशत आवासीय, 7.08 प्रतिशत वाणिज्यिक, 7.22 प्रतिशत औद्योगिक, 1.70 प्रतिशत राजकीय व अद्र्धराजकीय, 2.92 प्रतिशत आमोद-प्रमोद के तहत, 15.33 प्रतिशत सार्वजनिक एवं अद्र्ध सार्वजनिक तथा 23.01 प्रतिशत क्षेत्र परिसंचरण के तहत माना गया। इसके बाद क्षेत्र में कुछ बदलाव किया गया।
नए क्षेत्रों के लिए यह तय किया था
नए क्षेत्रों को इस प्रकार विकसित किया जाना चाहिए कि नए क्षेत्रों एवं पुराने शहर में उचित सामाजिक एवं भौतिक सामंजस्य बना रहे।
नए आमोद-प्रमोद के स्थानों को विकसित करते समय यथा सम्भव सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक सौंदर्य के स्थलों का चयन किया जाए।
राजकीय और अद्र्ध-राजकीय कार्यालय संगठित परिसरों में इस प्रकार स्थित किए जाने चाहिए कि उन्हें आवास के लिए समीप ही भूमि उपलब्ध हों और वह मुख्य मार्गों पर स्थित हों।
वाणिज्यक गतिविधियां इस प्रकार वितरित की जानी चाहिए कि शहर के पुराने वाणिज्यक केंद्र के लिए प्रतिदिन आगमन की आवश्यकता न पड़े। नए वाणिज्यक केंद्र, नए आवासीय क्षेत्रों की आवश्यकताओं के लिए सही स्थितियों में विकसित किए जाने चाहिए। इससे नगर के पुराने व्यावसायिक केंद्रों में भीड़
कम होगी।
मास्टर प्लान के अनुरूप पेयजल, जल-मल-निकास, विद्युत एवं परिसंरचण ढांचागत विकास के लिए विस्तृत योजनाएं तैयार की जानी चाहिए।
नगरीय क्षेत्र के चारों ओर एक परिधि नियंत्रण पट्टी क्षेत्र होना चाहिए, जिससे अच्छे पर्यावरण की प्राप्ति के साथ, अव्यवस्थित विकास की प्रक्रिया भी रुक सके।
पुराने शहर में निर्माण स्वीकृति देने से पहले पार्किंग स्थल का उचित प्रावधान रखा जाए।
प्लान में खास
मास्टर प्लान में वर्ष 2033 में 2.20 लाख जनसंख्या मानी गई
वर्ष 2033 में 2972 एकड़ आवासीय क्षेत्र प्रस्तावित किया गया
कुंभा स्टेडियम 19.0 एकड़ में, जो लगातार सिकुड़ रहा