scriptवरदान में मिली विरासत, मैली दरिया बना डाला | Bundi News, Bundi Rajasthan News,gifted,Inheritance,made a dirty river | Patrika News

वरदान में मिली विरासत, मैली दरिया बना डाला

locationबूंदीPublished: Oct 26, 2021 07:26:31 pm

पुरखों से जो विरासत वरदान में मिली थी, उसे हमने मैली(गंदी) दरिया बना डाला।

वरदान में मिली विरासत, मैली दरिया बना डाला

वरदान में मिली विरासत, मैली दरिया बना डाला

वरदान में मिली विरासत, मैली दरिया बना डाला
रियासतकालीन ड्रेनेज सिस्टम संभाल नहीं पाए
नैनवां. पुरखों से जो विरासत वरदान में मिली थी, उसे हमने मैली(गंदी) दरिया बना डाला। जिस पक्के ड्रेनेज सिस्टम (पक्की खाईयों) ने कस्बे के तीनों तालाबों नवलसागर, कनकसागर व रायसागर को आपस में जोड़ रखा था, उस ड्रेनेज सिस्टम को गंदगी की ड्रेनेज बना दी। एक जलाशय से दूसरे जलाशय तक पानी पहुंचाने के लिए सदियों पूर्व बना ड्रेनेज सिस्टम (पक्की खाईयों) का समय की मार तो कुछ नहीं बिगाड़ पाई लेकिन अपनी ही प्रशासनिक उपेक्षा उनकी दुर्दशा का कारण बन गई। रियासत काल में निर्मित सिस्टम आज भी जैसा था, वैसा ही है। जिन पर इनकी सफाई की जिम्मेदारी थी, उन्होंने ही सिस्टम को गंदगी की खान बना रखा है। कस्बे के बुजुर्गों के अनुसार 15वीं शताब्दी में जब किलेदार नाहर खानसिंह ने नैनवां को टाउन प्लानर के हिसाब से बसाया था, सुरक्षा के लिए कस्बे के चारों ओर बनाए विशालकाय परकोटे के सहारे बीस फीट चौड़ी व तीस फीट गहरी पक्की खाइयों का निर्माण कराया था। इनके निर्माण में ऐसी तकनीकी काम में ली कि खाइयां कस्बे की सुरक्षा के साथ पानी की आवक के रूप में भी काम आए। खाइयोंं की शुद्धता को भूल कस्बे की नालियों व शौचालयों का पानी खाइयों में मोड़ दिया। बरसात का पानी खाइयों में आते ही सड़ांध मारने से लोगों का जीना दूभर हो जाता है। सफाई कराने की जिम्मेदारी नगरपालिका प्रशासन की है। नगरपालिका प्रशासन दो वर्ष से सफाई कराने के लिए डीपीआर तैयार करवाने की बात कहकर समस्या की गंभीरता को टालता आ रहा है।
डीपीआर ही बना नहीं पाए
नैनवां नगरपालिका के कार्यवाहक अधिशासी अधिकारी केसरलाल नोगिया का कहना है कि ड्रेनेज के गंदे पानी की निकासी के लिए डीपीआर तैयार होनी थी। डीपीआर के तहत ही पानी की निकासी की व्यवस्था करनी थी, लेकिन अभी तक डीपीआर बना नहीं पाए।
ड्रेनेज सिस्टम का भूगोल
कनकसागर तालाब के पानी को नवलसागर तालाब में डालने के लिए टोडापोल से चौथमाता तक, रायसागर में डालने के लिए नवलसागर को रायसागर से जोडऩे के लिए खानापोल से देईपोल तक तथा कनकसागर का पानी रायसागर में डालने के लिए गढ़पोल तक पक्का ड्रेनेज सिस्टम (खाईयां) बना हुआ है। खाइयों का ड्रेनेज सिस्टम इस तरह बना हुआ है कि नवलसागर व कनकसागर से होने वाले सीपेज का पानी इन खाइयों के माध्यम से वापस तालाबों में पहुंचता रहता था। जिससे सीपेज के पानी की छीजत भी नहीं हो पाती थी। खाइयों की सफाई हुए दशक बीत गए। जब इन खाइयों की साफ-सफाई रहती थी तो ये बरसात में एक दूसरे तालाब में पानी की आवक की सहायक बनी रहती थी। बरसाती पानी खाइयों से होता हुआ तालाबों में पहुंच जाता था।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो