बढ़ा रहे पाचन शक्ति
अमरूदों की दो किस्म में लखनऊ-49 व इलाहाबादी सफेदा अधिक फेमस हो गए।इसका उत्पादन अच्छा होने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता (बीमारियां कम लगना) भी है। साइज अच्छी होने के साथ इसके फल का आकार गुणवत्तापूर्ण बताया गया है। कृषि वैज्ञानिक बताते है कि अमरूद का फल शरीर में पाचन शक्ति बढ़ाते हंै, साथ ही विटामीन-सी के अच्छे स्त्रोत है।
पैकिंग का कार्य शुुरू
अमरूद के बगीचें में भी कामकाज अब हाईटेक हो गए। इसमें किसान अपनी फसल को तैयार कर सीधे किसी ठेकेदार को बेच देते हैं, जो बाद में स्वयं ही फलावर आने पर तोडकऱ ले जाते हैं। ऐसे में पैकिंग का कार्य शुरू हो गया। ठेकेदारों ने इसकी पैकिंग कई शहरों में भेजनी शुरू कर दी।
प्रदेश में पहला स्थान
पिछले 15-20 वर्षों से जिले का अमरूद देशभर में प्रचलित है। 2005 से पहले तक राजस्थान में बूंदी के अमरूद उद्यान पहले नंबर पर बना हुआ था, तब मौसम की बेरुखी के चलते इसके प्रचलन में कमी आई, लेकिन एक बार फिर से यहां के अमरूदों के प्रति किसान रुचि दिखाने लगे। जिसके चलते अमरूद का प्रचलन एक बार फिर से पटरी पर लौट आया।
मार्च तक तुड़ाई
सहायक कृषि अधिकारी सुरेश कुमार मीणा ने बताया कि नवम्बर माह से बगीचों में तुड़ाई का समय शुरू हो जाता है। 15 जनवरी बागवानी की जाती है। इस दौरान बीच-बीच में तुड़ाई का कार्य चलता है। जुलाई में फल लगते है, जिसकी तुड़ाई मार्च तक चलती है।
‘बूंदी की माटी का अमरूद देशभर की जुबा पर मिठास घोल रहा है। हर साल इसका रकबा बढ़ता जा रहा है। बगीचों में तुड़ाई के साथ पैकिंग का काम भी शुरू हो गया। यहां का अमरूद देश के कई प्रमुख शहरों के लोगों की पसंद बन गया।इस वर्ष 625 हैक्टेयर रकबा हो गया।’
आनंदी लाल मीणा, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग, बूंदी