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पहाड़ियों पर घर, ग्रीनबेल्ट में हो रहे व्यवसायिक निर्माण

locationबूंदीPublished: Apr 18, 2021 08:30:11 pm

सुव्यवस्थित शहर की कल्पना ध्यान में रखकर बूंदी का मास्टर प्लान बनाया गया, लेकिन जिम्मेदार ही इसकी पालना नहीं करा रहे। मास्टर प्लान वर्ष 2008 में बना और वर्ष 2013 में लागू हुआ। इसे वर्ष 2033 को ध्यान में रखकर बनाया गया। मास्टर प्लान को ही निर्माण के लिए मास्टर गाइड लाइन माना जाना था, लेकिन इसके लागू होने के बाद इस ओर कोई झांका ही नहीं।

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पहाड़ियों पर घर, ग्रीनबेल्ट में हो रहे व्यवसायिक निर्माण

पहाड़ियों पर घर, ग्रीनबेल्ट में हो रहे व्यवसायिक निर्माण
वर्ष 2013 में लागू हुआ था बूंदी का मास्टर प्लान, अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने साध रखी चुप्पी
वर्ष 2033 तक सुव्यवस्थित शहर की थी कल्पना
नागेश शर्मा
patrika.com
बूंदी.
सुव्यवस्थित शहर की कल्पना ध्यान में रखकर बूंदी का मास्टर प्लान बनाया गया, लेकिन जिम्मेदार ही इसकी पालना नहीं करा रहे। मास्टर प्लान वर्ष 2008 में बना और वर्ष 2013 में लागू हुआ। इसे वर्ष 2033 को ध्यान में रखकर बनाया गया। मास्टर प्लान को ही निर्माण के लिए मास्टर गाइड लाइन माना जाना था, लेकिन इसके लागू होने के बाद इस ओर कोई झांका ही नहीं। बल्कि हुआ यह कि इसे कैसे मटियामेट किया जाए, इसे लेकर गलियां तलाश रहे। परिणाम यह हुआ कि शहर का लगातार बेतरतीब विस्तार हो रहा। लोगों ने पहाडिय़ों पर घर और ग्रीन बेल्ट पर दुकानों के निर्माण कर लिए। बूंदी नगर परिषद क्षेत्र के इस मास्टर प्लान से किसी को सरोकार नहीं रहा। चाहे कॉलोनाइजर हो या फिर बिल्डर, बिना कायदे काम करा रहे हैं। बिना मापदंड जगह-जगह कॉलोनियां काटी जा रही है। बहुमंजिला इमारतों के निर्माण हो रहा हैं। लोगों ने तलाई, खेल मैदानों और बरसाती नालों के लिए चिह्नित जगहों पर भी निर्माण कर लिए। जबकि बूंदी की जनता शहर के सुनियोजित विकास के प्लान बनने के बाद से ही आस लगाए बैठे हैं।
जानकार सूत्रों की माने तो कई सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद शहर के सुनियोजित विकास के लिए बनाए गए मास्टर प्लान की पालना को लेकर चर्चा नहीं की गई। इसे लेकर जनप्रतिनिधियों ने भी चुप्पी साध रखी है। आला अधिकारी भी इस मास्टर प्लान की पालना को लेकर कभी चर्चा करते नहीं दिखते। लोगों ने वन क्षेत्रों में धड़ाधड़ निर्माण कर लिए।
कैसे पूरा हो उद्देश्य
मास्टर प्लान का उद्देश्य शहर में सुनियोजित विकास करना था। ताकि आमजन को संपूर्ण सुविधाएं मिल सके। बूंदी शहर की नई आबादी में पानी, बिजली, सडक़, चिकित्सा, शिक्षा, मनोरंजन, पार्क सहित तमाम सुविधाएं विकसित की जाए, लेकिन हकीकत में मास्टर प्लान की धज्जियां उड़ाई जा रही है। नियमों की पालना नहीं होने के चलते लोग भी मनमर्जी कर रहे हैं। आवासीय में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित कर रहे हैं।
हाइवे के किनारे भी नहीं सुरक्षित
बूंदी शहर की आबादी के बीच से निकल रहे स्टेट हाई-वे गलियों से बद्तर हो गए। आबादी भले बढ़ी है, लेकिन जिमेदारों ने इसका ध्यान नहीं रखा। आज हाल यह हो गए कि सडक़ के किनारों पर लोग निर्माण करने में जुटे हैं। नियम के अनुसार हाइवे किनारे कॉमर्शियल निर्माण नहीं कराया जा सकता। बावजूद सडक़ों से सटकर दुकानें बन गई। बूंदी शहर में ग्रीन बेल्ट तो कहीं दिखाई ही नहीं पड़ती। शहर के नैनवां रोड, चित्तौड़ रोड चौराहे से कुछ दूरी तक व्यावसायिक एरिया है, लेकिन वहां पर आबादी बस गई, जो लगातार बढ़ती जा रही है। शहर के नैनवां रोड क्षेत्र में ग्रीनबेल्ट के लिए आरक्षित जमीन पर दुकानों के निर्माण कर लिए।
बारिश में जलमग्न
शहर में बिना नियमन बसी कॉलोनियों की परेशानी बारिश में और बढ़ जाती है। कॉलोनियों के कई हिस्से तलाइयों के रूप ले लेते हैं। शहर के रेलवे स्टेशन के सामने स्थित कॉलोनियों की बात करें तो पूरे बारिश के मौसम में पानी भरा रहता है। यही हाल चित्तौड़ रोड, कोटा रोड, देवपुरा, छत्रपुरा, सिलोर रोड व नैनवां रोड पर बसी कॉलोनियों के हैं। सूत्रों ने बताया कि मास्टर प्लान के अनुसार इन कॉलोनियों की बसावट नहीं होने से इनका सुनियोजित विकास भी नहीं हो पा रहा है।
बिना नियमन कॉलोनियों में बसे, अब सडक़ें तक नहीं
मास्टर प्लान को ताक में धरकर कॉलोनाइजर सिर्फ मोटी रकम कमाने पर ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में बूंदी शहर की दर्जनों इन कॉलोनियों में बसे लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हो रही। सडक़ और पानी की पाइप लाइन तक नहीं बिछाई जा रही है। नियमन नहीं होने से इनके पट्टे नहीं बन रहे। बावजूद धड़ल्ले से प्लाट बेचे जा रहे हैं।
खुर्दबुर्द हो रहा कुंभा स्टेडियम
शहर में एकमात्र मेले के लिए बड़ा परिसर कुंभा स्टेडियम है। इसे विकसित कर बूंदी के ऐतिहासिक कजली तीज मेले के लिए तैयार किए जाने की योजना प्रस्तावित की गई थी। लेकिन पिछले नगर परिषद बोर्ड ने इसे विकसित करने की जगह जमीन को खुर्दबुर्द करने की योजना बना डाली। स्टेडियम के बीच चारदीवारी का निर्माण करा दिया। आस-पास की जमीनों पर कब्जा हो गया। इसी परिसर में भू-खंड बेचने तक योजना बना दी। अब नगर परिषद का नया बोर्ड भी इसी राह पर चल रहा बताया। स्टेडियम परिसर को विकसित करने से पहले इसमें भू-खंडों की नीलामी लगानी शुरू कर दी।
सिकुड़ी सडक़ें, पार्कों के लिए नहीं ठोर
मास्टर प्लान को ताक में धरने से लगातार शहर की सडक़ें सिकुड़ती जा रही है। लोगों ने भू-खंड के आगे कई फीट तक अतिक्रमण कर लिए। जहां 50 और 100 फीट की सडक़ें निर्धारित की गई थी, वहां अब गलियां रह गई। ऐसे ही हालात पार्कों को लेकर हो गए। शहर में कई स्थानों पर पार्क विकसित किए जाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन इस ओर जिम्मेदारों ने शुरुआत से ही ध्यान नहीं दिया। ऐसे में लोगों ने जमीनों पर कब्जे जमा लिए।
शहर में मास्टर प्लान वर्ष 2013 से लागू है। इसमें अब जोनल प्लान बना रहे हैं। वर्तमान में क्या स्थिति है उसको नक्शे पर लिया जाएगा। उसके आधार पर काम होगा।
महावीर सिंह सिसोदिया, आयुक्त, नगर परिषद, बूंदी

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