बूंदीPublished: Mar 29, 2020 09:41:40 pm
पंकज जोशी
लॉकडाउन में जरूरतमंदों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आए इसके लिए सामाजिक संस्थाओं ने पूरी जिम्मेदारी संभाल ली।
लॉकडाउन में जरूरतमंदों की सहायता से शुरू हो रही दिनचर्या
लॉकडाउन में जरूरतमंदों की सहायता से शुरू हो रही दिनचर्या
नैनवां. लॉकडाउन में जरूरतमंदों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आए इसके लिए सामाजिक संस्थाओं ने पूरी जिम्मेदारी संभाल ली।राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने 22 मार्च से ही इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया। सुबह-शाम कस्बे में घरों से भोजन के पैकेट एकत्रित कर उन्हें दिहाड़ी मजदूर, जरूरतमंदों को पहुंचाने में जुट गए।साथ ही सडक़ों से पैदल अपने घरों को जा रहे लोगों को भी भोजन उपलब्ध कराया गया। रविवार को सौ से अधिक प्रभावित लोगों तक भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए गए।
उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में बनी कोरोना सामाजिक सहायता समिति भी चार दिनों से लॉकडाउन से प्रभावित परिवारों को राशन सामग्री उपलब्ध कराने में जुट गई। रविवार को समिति के सदस्य पार्षद रजनीश शर्मा व वकील राजेन्द्रसिंह सोलंकी ने कस्बे से तीन किमी दूर पापोलाई का झोपड़ा में 15 परिवारों को राशन सामग्री उपलब्ध कराई। मुकेश जोशी, आबिद हुसैन व संयुक्त व्यापार महासंघ के अध्यक्ष विनोद मारवाड़ा ने कस्बे में प्रभावित परिवारों को राशन सामग्री बांटी। डॉ. अम्बेडकर विकास परिषद के पदाधिकारियों ने भोजन के पैकेट बांटे। उपखंड अधिकारी श्योराम ने बताया कि गांवों में दो वाहनों से दो सौ परिवारों को राशन सामग्री व साढ़े चार सौ परिवारों तक भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए गए। इधर, नगरपालिका अध्यक्ष मधुकंवर ने रविवार को उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में गठित कोरोना सामाजिक सहायता समिति को 11 हजार रुपए की आर्थिक मदद सौंपी। समिति के सदस्य मुकेश जोशी ने बताया कि समिति के पास अब तक साढ़े पांच लाख रुपए एकत्र हो चुके।
दोपहर बाद घरों से नहीं निकले
नैनवां कस्बे में लॉकडाउन पूरी तरह बना रहा। रविवार को साप्ताहिक हाट को देखते हुए आसपास के गांवों से भी ग्रामीण जरूरत के सामानों की खरीद के लिए पहुंचे। खरीद के समय पुलिस ने लोगों को दुकानों के बाहर एकत्रित नहीं होने दिया। दूरिया बनाकर ही सामानों की खरीद करने दी। हाट की वजह से किराना व सब्जी की दुकानों पर अन्य दिनों की तुलना में अधिक लोग खरीदारी करने पहुंचे। सुबह नौ से दोपहर 12 बजे तक चली खरीदारी के बाद दुकानें बंद करवा दी।