बूंदीPublished: Jul 08, 2020 09:44:54 pm
पंकज जोशी
सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों के साथ शैक्षणिक संस्थाओं में चल रही ऑनलाइन क्लासेज में सरकार ने बदलाव कर दिया।
सप्ताह में सिर्फ 5 दिन होगी ऑनलाइन पढ़़ाई
सप्ताह में सिर्फ 5 दिन होगी ऑनलाइन पढ़़ाई
हर कक्षा में दस-पंद्रह मिनट का रहेगा अंतराल
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने जारी की एडवाइजरी
स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को देखते हुए किया निर्णय
बूंदी. सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों के साथ शैक्षणिक संस्थाओं में चल रही ऑनलाइन क्लासेज में सरकार ने बदलाव कर दिया। सप्ताह भर चलने वाली ऑनलाइन क्लासेज सप्ताह में अब केवल 5 दिन ही लगेगी। शेष दो दिन अवकाश रहेगा। साथ ही प्रत्येक कलांश में 15 से 20 मिनट का अंतराल रहेगा। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी की। इस एडवाइजरी की पालना में माध्यमिक शिक्षा उप निदेशक ने प्रदेश के सभी मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) को आदेश जारी किए। यह निर्णय स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को देखते हुए किए। अभी विद्यार्थी घर में ही ऑनलाइन अध्ययन कर रहे। इस ऑनलाइन क्लासेज को शुरू हुए काफी समय हो गया, लेकिन माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने अब इसकी विस्तृत गाइड लाइन जारी कर दी। ऑनलाइन अध्ययन के बाद बच्चों में बढ़ती स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को देखते हुए अब निर्णय किया गया। बच्चों को अत्यधिक होमवर्क भी नहीं देने की हिदायत दी। अगर होमवर्क दिया गया तो इसमें ऑफ लाइन एवं नोटबुक-स्लेट आदि को प्राथमिकता देनी होगी। ऑनलाइन शिक्षण का समय सुबह 9 बजे से पहले एवं शाम 4 बजे बाद किसी भी हालात में नहीं रखा जाने के भी प्रावधान किए गए।
…तो सीमित ही हो इसका उपयोग
वैश्विक महामारी के इस दौर में कक्षा-कक्षों में समूह के रूप में बिठाकर अध्ययन करवाना जोखिम भरा माना गया। ऐसे में ऑनलाइन एज्युकेशन ही विकल्प होगा। लेकिन अब सरकार यह मानने लगी कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी के बढ़ते इस्तेमाल और पहुंच ने उनके ऑनलाइन शेषण एवं दुरूपयोग के संभावित खतरे को भी बढ़ा दिया।
आरटीइ अधिनियम भी
ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था सरकार ने लॉकडाउन लगने के साथ ही शुरू कर दी थी, लेकिन विभाग एवं सरकार को धाराएं एवं अधिनियम अब ध्यान में आ रहे। नए आदेशों में आरटीइ अधिनियम की निम्न धाराओं का उल्लेख किया गया। इसमें धारा 24 (1) (घ) के तहत प्रत्येक बच्चे की शिक्षा ग्रहण करने में सामथ्र्य का निर्धारण करना और तदनुसार अपेक्षित शिक्षण करवाना जरूरी होगा। धारा (17) (1) में का हवाला देते हुए बच्चे का शारीरिक व मानसिक उत्पीडऩ नहीं हो इसका उल्लेख किया गया।
स्वास्थ्य संबंधित यह हो रही परेशानियां
लगातार ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों की आंखों पर जोर बढ़ रहा
बच्चों में सिरदर्द, चिढ़चिढ़ापन आदि के शिकार हो रहे
यह नियम भी रहेंगे
कविताएं, कहानियां, सामान्य अध्ययन में वीडियो के स्थान पर ऑडियो विकल्प का प्रयोग करें
साप्ताहिक अवकाश के पहले अगले सप्ताह का टाइम टेबल एवं पाठ्यक्रम पहले बताया जाए
वीडियो कांन्फ्रेस के अध्यापन करवाने के दौरान विद्यार्थियों को छोटे-छोटे समूह बनाने होंगे, ताकि सभी विद्यार्थी अपनी जिज्ञासा को शांत कर पाए
मोबाइल स्क्रीन के बजाय लेपटॉप के उपयोग को प्राथमिकता देनी होगी
हर 15 दिन में हो मॉक टेस्ट
आदेश में बताया कि हर 15 दिन के अंतराल में मोक-टेस्ट का आयोजन किया जा सकता है, ताकि विद्यार्थियों ने जो पढ़ा एवं सीखा उसका आकलन हो सके। साथ ही वर्चुअल क्लासेज का आयोजन भी विकल्प के रूप में किया जा सकता है। ऑनलाइन शिक्षण के शुरू या अंत में शिक्षक की ओर से योग, ध्यान एवं शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति भी बच्चों को जागरूक किया जाए।
अभिभावक रखे निगरानी
ऑनलाइन शिक्षण के दौरान अभिभावकों की निगरानी एवं सहयोग लेने के निर्देश दिए। ताकि बच्चे विषय वस्तु को अच्छी तरह समझ सके। इसे कक्षा शिक्षण अधिनियम का विकल्प नहीं माने। अभिभावकों के लिए बताया गया कि शिक्षण के दौरान संभव हो तो बच्चों के साथ बैठे, ताकि वह गलत लिंक पर क्लिक नहीं करें। वहीं शिक्षकों से आह्वान किया कि वे ऑनलाइन शिक्षण के दौरान निश्चित अंतराल में संचार उपकरणों के प्रयोग के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताए। साथ ही विद्यार्थियों को आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसाारित किए जाने वाले शिक्षा कार्यक्रमों को ही देखने के लिए अधिक प्रेरित करें, ताकि मोबाइल, लेपटॉप आदि पर निर्भरता कम हो।
‘सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों के साथ शैक्षणिक संस्थाओं को सप्ताह में 5 दिन ही ऑनलाइन क्लासेज लेनी होगी। शेष दो दिन अवकाश रहेगा। बच्चों में स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों को देखते हुए राज्य बाल अधिकारी संरक्षण ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी कर दी।’
तेजकंवर, जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय), बूंदी