यह था मामला
प्रकरण के अनुसार पन्द्रह वर्षीय किशोरी 23 दिसम्बर की शाम को शौच के लिए घर से निकली थी। उसे जंगल में अकेला पाकर नशे में धुत तीन दङ्क्षरदों ने पकड़ लिया, फिर बारी -बारी से बलात्कार किया। विरोध किया तो उसे नोंचा। मुंह से काटकर शरीर पर जख्मी कर दिया। किशोरी चिल्लाती रही और दया की भीख मांगती रही। जब उसने पूरी घटना घर वालों को बताने की बात कही तो तीनों ने मिलकर उसका चुन्नी से गला घोंट दिया। उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। यही नहीं आरोपियों ने उसे घसीटा और मौत हो जाने के बाद भी बलात्कार किया। जिसकी पुष्टि बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुई। रोंगटे खड़े कर देने वाली इस वारदात को पुलिस ने भी गंभीरता से लिया और डॉग स्क्वायड की मदद से 12 घंटे में वारदात का खुलासा किया था। पुलिस ने 27 वर्षीय सुल्तान एवं 62 वर्षीय छोटूलाल भील को गिरफ्तार किया। वारदात में शामिल एक आरोपी नाबालिग निकला जिसे विधि के विरुद्ध निरुद्ध किया था।
10 थानाधिकारी, 200 जवानों ने छाना था जंगल
मामले में पुलिस अधीक्षक जय यादव ने 10 थानाधिकारियों के साथ 200 जवानों की मदद से पूरे कालाकुआं के जंगलों को छाना था। ड्रेगन लाइटों की भी मदद ली गई। इसके लिए डॉग स्क्वायड की मदद ली गई। तब जंगल में आरोपी की अंडरवियर मिली। इसी से वारदात खुली और पुलिस दिन निकलने से पहले आरोपियों तक पहुंच गई थी। मामले में पुलिस की ओर से त्वरित जांच के लिए बूंदी डिप्टी हेमंत नोगिया को केस ऑफिसर नियुक्त किया।
तो विधिक सेवा की ओर से उपलब्ध कराया वकील
मासूम से हैवानियत का मामला सामने आने के बाद बूंदी अभिभाषक परिषद ने आरोपी की ओर से पैरवी नहीं करने का फैसला लिया था। इसके बार उसे विधिक सेवा की ओर से वकील उपलब्ध कराया गया।
न्यायालय में बहस पूरी हो गई। फैसले की तारीख 28 अप्रेल तय की गई है। इस जघन्य अपराध के लिए दोनों आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग रखी है, ताकि फिर से ऐसा करने से पहले रूह कांपें।
महावीर ङ्क्षसह किशनावत, विशिष्ठ लोक अभियोजक (राज्य सरकार की ओर से नियुक्त)