रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में वन विभाग की माण्डू के पहाड़ पर लिफ्ट कर पानी चढ़ाने और हर्बीवोर्स के लिए नर्सरी बनाने की तैयारी है। इसके लिए आरपेक योजना के तहत 300 हैक्टेयर के प्रस्ताव बनाकर भेजे गए हैं।
बूंदी•Jun 22, 2021 / 08:52 pm•
पंकज जोशी
लिफ्ट कर पहाड़ पर चढ़ाएंगे पानी, हर्बीवोर्स के लिए बनेगी नर्सरी
लिफ्ट कर पहाड़ पर चढ़ाएंगे पानी, हर्बीवोर्स के लिए बनेगी नर्सरी
वन विभाग ने भेजे प्रस्ताव : स्वीकृति का इंतजार
अभिषेक ओझा
patrika.com
बूंदी. रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में वन विभाग की माण्डू के पहाड़ पर लिफ्ट कर पानी चढ़ाने और हर्बीवोर्स के लिए नर्सरी बनाने की तैयारी है। इसके लिए आरपेक योजना के तहत 300 हैक्टेयर के प्रस्ताव बनाकर भेजे गए हैं। स्वीकृति के साथ ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इससे माण्डू के पहाड़ पर पानी की समस्या के साथ ही बाहर से लाए जाने वाले शाकाहारी वन्यजीवों को प्राथमिक रूप से रखने के लिए जगह भी तैयार हो जाएगी।
वन विभाग का आरपेक के तहत भेजे प्रस्तावों का उद्देश्य यहां पानी की उपलब्धता करना, ग्रासलैण्ड तैयार करना, हेबीटॉट इम्प्रुवमेंट करना रहेगा। गौरतलब है कि रामगढ़ विषधारी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद चल रही है। इसके लिए प्रेबेस तैयार करने के लिए पहले भी चीतल और सांभर यहां छोड़े गए हैं। वहीं दूसरे चरण में भी घना पक्षी विहार से 150 चीतल छोड़े जाने हैं।
तलाई बनाएंगे, सोलर सिस्टम लगेगा
माण्डू के पहाड़ पर पानी की कमी के कारण यहां रहने वाले वन्यजीवों के सामने समस्या रहती है। इसके चलते उन्हें अन्यत्र स्थान तक आना पड़ता है। आरपेक में भेजे प्रस्तावों में माण्डू के पहाड़ पर मोटर व पाइपलाइन से पानी चढ़ाया जाएगा। मोटर चलाने के लिए सोलर सिस्टम लगाया जाएगा। इसके साथ ही पहाड़ पर तलाइयां बनाई जाएगी। जिसमें पानी भरा जाएगा।
पहले यहां, फिर जंगल में छोड़ेंगे वन्यजीव
इसके साथ ही यहां एक नर्सरी बनाई जाएगी। इसमें बाहर से लाए जाने वाले हर्बीवोर्स (शाकाहारी वन्यजीव) को रखा जाएगा। वन्यजीवों को पहले यहां छोडकऱ उन्हें प्राकृतिक वातावरण के अनुरूप ढाला जाएगा। वंशोत्पति के बाद उन्हें खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा। गौरतलब है कि पहले दिल्ली चिडिय़ाघर से लाए गए सांभर खुले जंगल के आदी नहीं होने से बार-बार आबादी क्षेत्र में पहुंच रहे थे। इस दौरान एक सांभर का शिकार भी हो गया था। इस समस्या से भी नर्सरी बनने के बाद काफी हद तक निदान हो सकेगा।
करीब 20 करोड़ होंगे खर्च
यह योजना पांच साल के लिए बनाई गई है। इसके लिए यहां करीब 20 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें तलाइयां बनाना, सोलर सिस्टम, वन्यजीवों को बाहर से लाना, उनके खाने-पीने की व्यवस्था आदि पांच साल तक का खर्च शामिल रहेगा।
आरपेक के तहत प्रस्ताव भेजे हैं। इसमें माण्डू पर लिफ्ट करके पानी चढ़ाने और शाकाहारी वन्यजीवों के लिए नर्सरी भी
तैयार की जाएगी। स्वीकृति का इंतजार है।
धर्मराज गुर्जर, क्षेत्रीय वन अधिकारी, जैतपुर