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मातृ एवं शिशु इकाई की गुणवत्ता पर सवाल, उखड़ी टाइल्स व दीवारों में आई दरारें

locationबूंदीPublished: Dec 08, 2019 12:00:39 pm

निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी के चलते जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मातृ एवं शिशु इकाई के ऊपरी हिस्से की दीवारों में दरारें आ गई।

मातृ एवं शिशु इकाई की गुणवत्ता पर सवाल, उखड़ी टाइल्स व दीवारों में आई दरारें

मातृ एवं शिशु इकाई की गुणवत्ता पर सवाल, उखड़ी टाइल्स व दीवारों में आई दरारें

बूंदी. निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी के चलते जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मातृ एवं शिशु इकाई के ऊपरी हिस्से की दीवारों में दरारें आ गई। जगह-जगह से टाइल्स उखडऩी शुरू हो गई। चिकित्सा प्रशासन के ध्यान नहीं देने से यहां बने कमरे भी उपयोग नहीं आ रहे। ऐसे में 16 करोड़ की लागत से बने अस्पताल में दो साल में गुणवत्ता की पोल खुल गई। इधर, अस्पताल प्रशासन की माने तो स्टॉफ की कमी के चलते पूरे भवन का उपयोग नहीं हो रहा। यहां 16 करोड़ की लागत से मातृ एवं शिशु इकाई करीब दो-ढाई साल पहले शुरू हुआ था। बताया गया कि बारिश होने के साथ ही फर्श बैठने से दीवारों में दरारें आने शुरू हो गई थी।शुरुआत में आई मामूली दरारों को चिकित्सा विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया। जिसका नतीजा यह हुआ कि अब जगह-जगह से दीवारों में दरारें आने के साथ टाइल्स उखडऩी शुरू हो गई।
सड़ांध मार रहा शौचालय
मातृ एवं शिशु इकाई की ऊपरी मंजिल में करीब 15 से 20 रूम बने हुए हैं। चिकित्सा विभाग जानकार ने बताया कि प्राइवेट रूम बनाए गए थे, ताकि इनका संचालन हो सके, लेकिन चिकित्सा विभाग की ओर से इस ओर ध्यान नहीं देने से यह रूम अनुपयोगी रहे। सभी कमरों में ताले लटके हुए है। शौचालय में भी गंदगी का आलम है।
बारिश में ही दरकने लगी
अस्पताल सूत्रों ने बताया कि बारिश के समय ही ऊपरी मंजिल की बिल्ंिडग की दीवारों में दरारें व टाइल्स उखडऩे लग गई थी, तब जिम्मेदारों ने चुप्पी साध ली। रख-रखाव पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। यही हाल निर्माण के समय रहा। तब भी गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं रखा गया।
निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया। ऊपरी मंजिल की बिल्ंिडग की टाइल्स उखड़ गई। इस बारे में प्रमुख चिकित्सा अधिकारी को अवगत करा दिया।
सत्यनारायण मीणा, नर्सिंग अधीक्षक, मातृ एवं शिशु इकाई, बूंदी

‘स्टॉफ व सहायक कर्मचारी नहीं होने से कमरों का उपयोग नहीं हो रहा। टाइल्स व दीवारों में दरकने को लेकर विचार करेंगे।’
डॉ.के.सी. मीणा, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, बूंदी

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