बूंदीPublished: Jun 01, 2020 06:57:36 pm
पंकज जोशी
बूंदी. पहले बच्चों को हमेशा मोबाइल फोन से दूर रखा, अब उसी मोबाइल को थामे रखने की नसीहत देनी पड़ गई।
मोबाइल फोन पर बच्चे सीख रहे आखर
मोबाइल फोन पर बच्चे सीख रहे आखर
बच्चों की शुरू हुई पढ़ाई, अभिभावकों की दुविधा भी बढ़ी
ऑनलाइन क्लासेस से अन्य गतिविधियों पर लगा अंकुश
बूंदी. पहले बच्चों को हमेशा मोबाइल फोन से दूर रखा, अब उसी मोबाइल को थामे रखने की नसीहत देनी पड़ गई। इससे कई अभिभावकों की दुविधा बढ़ गई। जी हां! देश व प्रदेश में फैले कोरोना महामारी ने हर किसी की दिनचर्या को बदल दिया। सरकारी व निजी कार्य घरों में होने के साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी ऑनलाइन होने लगी।
कोरोना संकट में लोगों ने जीवनयापन के तरीके बदल दिए। लॉकडाउन होने से लोग घरों में बंद और पढ़ाई ऑनलाइन शुरू हो गई। ऐसे में अध्ययन का दारोमदार मोबाइल फोन पर आ गया। या यों कहें कि मोबाइल फोन पर बच्चे आखर ज्ञान सीख रहे। इसके लिए खुद अभिभावक उन्हें मोबाइल फोन थमा रहे। बिना मोबाइल के पढ़ाई मुश्किल हो गई। इसी से नोट्स तैयार कर रहे। इसके लिए कई संस्थाओं ने सोशल मीडिया पर प्लेटफार्म तैयार कर दिए। सवालों का जवाब और उत्तर पुस्तिकाएं भी इसी प्लेट फार्म तैयार होने लगी।
समय का सदुपयोग
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बोरखंड़ी के शिक्षक लोकेश जैन ने बताया कि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करा दी। उसके लिए बच्चों को फोन करके प्रेरित किया गया। समय-समय पर टेस्ट भी लेना शुरू कर दिया। ताकि पढ़ाई से जुड़े रहे। बिना डर के सावधानी से आगे बढऩे की बच्चों को शिक्षा मिलती रही। आसपास के बच्चों के पास पुरानी पाठ्यपुस्तकें है, उन्हें लेकर वो पढ़ें हमारे पास ऑनलाइन टेक्सट बुक आई है, वो भी बच्चों को शेयर कर दी है। साथ ही अभिभावकों से सम्पर्क कर उन्हें अगली कक्षा की किताबें पढऩे के लिए प्रेरित कर रहे है, अभिभावक ऑनलाइन पढ़ाई करते वक्त बच्चों के साथ बैठे।
चिंता इस लिए बढ़ रही
घरों में ऑनलाइन क्लासेज शुरू होने से अन्य गतिविधियोंं पर अंकुश लग गया। अब पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे मौका पाकर गेम्स नहीं खेलते लग जाएं। यू-ट्यूब पर वीडियो देखकर समय पूरा नहीं कर लें। वीडियो डाउनलोड करने में ही डाटा जाया नहीं कर दें या फिर ऐसी साइट्स नहीं खंगाल लें जो उनके लायक नहीं। इन्हीं सब बातों ने अभिभावकों की कुछ चिंता भी बढ़ा दी। हालांकि ऑनलाइन पढ़ाई शुरू होने के बाद उन्हें सुकून भी मिला।
इसलिए मोबाइल अहम जरूरत बना
ऑनलाइन क्लासेज में अलग-अलग क्लास के हिसाब से सोशल मीडिया प्लेटफार्म बन रहे। इन पर कक्षावर शिक्षक अलग-अलग विषयों के लेसन भेजते बताए। टेस्ट के लिए प्रश्न पत्र भी इसी तरह भेजा जाता है और जांच के लिए गु्रप में या पर्सनल नंबर पर जवाब मांगा जाता है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई के लिए मोबाइल अहम जरूरत बन रहा है।
यह करें अभिभावक
-मोबाइल पर अध्ययन करने वाले बच्चों पर अभिभावक को खास ध्यान देना चाहिए
-पढ़ाई के अलावा मोबाइल पर समय जाया करने वाले बच्चों पर नजर रखी जाए
– बच्चे की पढ़ाई को लेकर समय-समय पर क्लासवाइज बनाए गु्रप्स की जानकारी लेते रहें
– मोबाइल की बैक हिस्ट्री को देखकर गेम्स आदि गतिविधियों पर पूरी नजर रखें
अध्ययन के अलावा गेम्स, वीडियो आदि से डाटा बर्बाद करने पर सख्ती से मनाही करें
अभिभावक भी आस-पास ही रहें
छोटे बच्चों को मोबाइल से ऑनलाइन पढ़ाई कराने से उनके दिमाग व आंखों पर असर पड़ेगा। साथ ही रात में बच्चों को नींद में भी इसी के सपने आएंगे। लम्बे समय तक ऑनलाइन क्लासेज में बच्चों को नहीं बैठने दें। इसका समय अधिकतम आधा घंटा निर्धारित हो। मोबाइल का उपयोग करते वक्त अभिभावक भी आस-पास ही रहें। संभव हों तो साथ ही बैठे।’
डॉ.गोविंद गुप्ता, शिशु रोग विशेषज्ञ, बूंदी