खुदाई में निकली 8 से 10 प्रतिमाएं
शीलोदय तीर्थ क्षेत्र घोषित किए गए आदिश्वरी जैन मंदिर में स्थापित प्रतिमाएं सात सौ से आठ सौ साल पुरानी बताई। पहले मंदिर में आदिनाथ, पाŸवनाथ, शांतिनाथ, चंद्रप्रभु, मुनि सुव्रतनाथ सहित अन्य प्रतिमाएं विराजमान थी। यहां मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान सदियों पुरानी 8-10 खंडित प्रतिमाएं भी निकली थी।
झूलते हुए होगी मंदिर की छत
अतिशय क्षेत्र के मंत्री सुनील व नरेंद्र जैन ने बताया कि मंदिर के निर्माण में लोहे, सीमेंट, कंक्रीट का उपयोग नहीं कर रहे। यह पत्थरों से पत्थर को जोडकऱ लॉक एंड की तकनीक से बना रहे। मंदिर का हॉल 36 फीट ऊंचा और 100 फीट चौड़ा होगा। इस विशाल हॉल में खंभें नहीं होंगे। छत हवा में झूलते हुए बनेगी। मंदिर में कलश होंगे।
यूं हुआ शीलोदय का आरंभ
सिलोर में जैन समाज का प्राचीन मंदिर था। काफी पुराना मंदिर होने से जीर्णशीर्ण हो चला था। मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज का सिलोर में मंगल प्रवेश हुआ तब उन्होंने मंदिर को देखकर धर्मसभा में इसके नाम बदलने की घोषणा की। धर्मसभा में मुनि ने हजार साल पुराने आदिश्वरगिरी जैन मंदिर को मुनि ने आदिनाथ दिगंबर जैन शीलोदय अतिशय तीर्थक्षेत्र घोषित किया।
क्षेत्र में स्कूल-कॉलेज और गोशाला का निर्माण भी होगा
मंदिर निर्माण के साथ ही यहां सुधासागर पब्लिक स्कूल, कॉलेज, गौशाला, धर्मशाला भी बनेंगी। आस-पास के क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए पौधरोपण किया जाएगा। गांव में सामाजिक सरोकार के काम होंगे। मंदिर निर्माण में देशभर के लोग भागीदारी कर रहे। मंदिरों का डिजाइन नागर शैली में तैयार किया गया। मंदिर का नक्शा सृष्टि के शिल्पकार विश्वकर्मा के साहित्य शिल्प रत्नाकर के आधार पर कराया गया।
फेक्ट फाइल
चूना-पत्थर से हो रहा निर्माण
मंदिर बंशी पहाड़पुर के लाल पत्थर से बनेंगे
21 करोड़ का प्रोजेक्ट
वर्ष 2027 में होगा तीर्थक्षेत्र का काम पूरा
16 बीघा भूमि में हो रहा निर्माण
300 साल पुराने अतिशय क्षेत्र की बदलेगी सूरत
आकर्षण होगा सिंहद्वार
30 कमरों की धर्मशाला, 12 कमरों की बनेगी संतशाला
400 से 500 गायों के लिए होगा गोशाला का निर्माण
15 फीट ऊंची पद्मासन आदिनाथ भगवान की होगी मूर्ति
11-11 फीट पाŸवनाथ व मुनिसुव्रतनाथ भगवान की मूर्ति