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कारोबारियों का हो रहा मोह भंग, सरेंडर करने की मजबूरी

locationबूंदीPublished: Sep 15, 2021 08:18:59 pm

शराब कारोबारियों को इस बार आबकारी विभाग की नई पॉलिसी रास नहीं आ रही। जिले की दुकानें अब जाकर पूरी हुई। इस बार कोरोना का ऐसा ग्रहण लगा कि पहले दुकानें लेने नहीं आए और बाद में कई जतन के बाद दुकानें ली तो घाटे के सौदे में कइयों ने सरेंडर के आवेदन करने शुरू कर दिए।

कारोबारियों का हो रहा मोह भंग, सरेंडर करने की मजबूरी

कारोबारियों का हो रहा मोह भंग, सरेंडर करने की मजबूरी

कारोबारियों का हो रहा मोह भंग, सरेंडर करने की मजबूरी
आरएमएल शराब से भरे गोदाम, दुकानों में 12 करोड़ का स्टॉक जमा
रास नहीं आई सरकार की नई आबकारी नीति
ठेेकेदारों ने कर दिए 11 दुकानें सरेंडर के आवेदन
बूंदी. शराब कारोबारियों को इस बार आबकारी विभाग की नई पॉलिसी रास नहीं आ रही। जिले की दुकानें अब जाकर पूरी हुई। इस बार कोरोना का ऐसा ग्रहण लगा कि पहले दुकानें लेने नहीं आए और बाद में कई जतन के बाद दुकानें ली तो घाटे के सौदे में कइयों ने सरेंडर के आवेदन करने शुरू कर दिए।
जानकारों की माने तो राजस्थान निर्मित शराब (आरएमएल) ठेकेदारों के लिए आफत बन रही। बूंदी जिले में इसका करीब 10 से 12 करोड़ का शराब दुकानों में भरा हुआ बताया। यहीं हाल पूरे प्रदेश के बताए। इस शराब के खरीदार कम बताए।
इधर, गारंटी नियमों के तहत हर माह इसकी फिक्स मात्रा उठानी जरूरी बताई। ऐसे में ठेकेदारों के गोदाम इस शराब से अट गए। अब कुछ ठेकेदार इसे कम दाम में बेचने को मजबूर हो गए। कुछ दुकानें सरकार के ही उपक्रम राजस्थान स्टेट ब्रेवरेज कॉपरेशन लिमिटेड (आरएसबीसीएल) ने चलाने के लिए ली, लेकिन वह भी घाटे का सौदा होने सरेंडर हो गई। यानि सरकार की दुकानें खुद सरकार ही नहीं चला पाई और पूरी पॉलिसी पर ही प्रश्नचिह्न लग गया। बूंदी जिले में 195 शराब की दुकानें है।
पॉलिसी की वजह से परेशानी
शराब ठेकेदारों को पॉलिसी के तहत पचास प्रतिशत देशी शराब व पचास फीसदी आरएमएल शराब खरीदनी होती है। देशी शराब तो बिक रही है, लेकिन आरएमएल शराब नहीं बिक रही बताई। हर माह इसकी तय मात्रा उन्हें उठानी पड़ रही है। ऐसे में ठेकेदारों के गोदामों में आरएमएल शराब जमा हो रही। ग्राहकों को भी वह कम दाम में बेच रहे, बावजूद इसका स्टॉक खत्म नहीं हो रहा।
शराब ठेकों से मोह भंग, 12वें चरण में मिले ठेकेदार
अमूमन शराब ठेका खरीदने के लिए भीड़ रहती थी। नीलामी होने के बाद भी बड़े दाम देकर ठेका खरीद लिया जाता था। इस बार ऐसा नहीं हुआ। सरकार ने पहली बार ई-ऑक्सन के जरिए ठेकों की बोली लगाई। लेकिन कड़े नियम व कई शर्तों के चलते शराब ठेके से लोगों का मोह भंग हो गया। बूंदी जिले में ऐसी कई दुकानें रही जो नीलामी प्रक्रिया के 12 चरण अपनाने पर बिकी। आखिरी चरण में बूंदी शहर की दो व नीम का खेड़ा की एक दुकान नीलामी के बाद ठेकेदार मिले। इसके पीछे ठेकेदारों की माने तो पहले देशी व अंग्रेजी शराब की अलग-अलग दुकानें हुआ करती थी, तो अच्छा कारोबार माना जाता था। इस बार पहले कोरोना रहा और अब सरकार निर्मित शराब नहीं बिकने से दुकानें घाटे का सौदा साबित हो रही।
साढ़े सात हजार दुकानों की बोली
आबकारी विभाग ने इस बार राज्य की समस्त 7665 दुकानों की ई-नीलामी करते हुए खुली बोली लगाई थी, इनमें करीब 35 हजार लोगों ने पंजीयन करवाया था, लेकिन कुछ दुकानें रह गई। गारंटी घटाने के बाद ठेकेदारों ने कमाई वाली दुकानों पर रुझान दिखाया। नई पॉलिसी पर कोरोना का पूरी तरह से साया रहा। पर्यटक कम आए तो गांव में शराब काफी कम उठी।
यह कारण रहा दुकानें सरेंडर करने का
अब तक सरेंडर का सबसे बड़ा कारण ग्राहक की मांग नहीं होने के बावजूद 50 फीसदी राजस्थान निर्मित शराब की गारंटी उठाना रहा। इस शराब का अधिकांश दुकानों पर स्टॉक भरा पड़ा बताया। आबकारी विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक की तर्ज पर आई नई पॉलिसी में पहली बाद ई-नीलामी के जरिए दुकानों को बेचा गया, लेकिन पूरी सफलता नहीं मिली। लॉटरी सिस्टम में ही 100 प्रतिशत उठने वाली दुकानें ई-नीलामी में कई प्रयास के बाद भी पूरी नहीं गई। बूंदी जिले में 11 दुकानें के सरेंडर के आवेदन विभाग को मिल चुके। इसमें हालांकि सरकार ने नियमों में कुछ फेरबदल तो किया, लेकिन उसमें भी सरकार ने ऐसा पेंच फंसाया कि अगर कोई ठेकेदार दुकानें सरेंडर करे तो उसे वर्षभर का पूरा पैसा जमा कराना पड़ेगा, उसे 35 फीसदी माल उठाना पड़ेगा।
‘आरएमएल के प्रतिशत बाबत अनुज्ञाधारियों की शिकायत के चलते राज्य सरकार ने बड़ी राहत दे दी। सरकार ने आरएमएल का प्रतिशत 50 से घटाकर 35 कर दिया। अब अनुज्ञाधारियों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। ठेके सरेंडर करने के मामले में बूंदी जिले में 11 आवेदन मिले थे।’
मनोज बिस्सा, जिला आबकारी अधिकारी, बूंदी

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