बूंदीPublished: May 28, 2020 07:10:09 pm
पंकज जोशी
सूर्यदेव के रौद्र रूप को देखते हुए बुधवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने जिले में अलर्ट जारी किया।
बूंदी में सूर्यदेव का रौद्र रूप, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट
बूंदी में सूर्यदेव का रौद्र रूप, स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया अलर्ट
बूंदी. सूर्यदेव के रौद्र रूप को देखते हुए बुधवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने जिले में अलर्ट जारी किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार अत्यधिक गर्मी व सूखे मौसम में लू-तापघात होने की आशंका बढ़ गई। चिकित्सकों, नर्सिंग कर्मियों एवं आशा सहयोगिनियों को जागरूकता लाने व बचाव के साथ-साथ प्राथमिक उपचार सिखाने पर जोर रहेगा। चिकित्सा अधिकारियों ने सभी अस्पतालों में लू-तापघात के रोगियों के लिए कुछ बेड आरक्षित रखते हुए वहां कूलर व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, संस्थान में रोगी के उपचार के लिए आपातकालीन किट में ओआरएस, ड्रिपसेट, (आरएल) फ्लूड एवं आवश्यक दवाइयां रखने के निर्देश दे दिए। लू-तापघात के किसी रोगी की जानकारी देने के लिए कंट्रोल रूम 0747-2442895 पर सम्पर्क करें। इधर, बूंदी में बुधवार को लगातार तीसरे दिन पारा 47 डिग्री सेल्सियस रहा। यहां भीषण गर्मी से राहत के लिए नगर परिषद ने शहर की प्रमुख सडक़ों पर पानी छिडक़वाया।
क्या है लू तापघात ?
सीएमएचओ डॉ. जी.एल. मीणा ने बताया कि चिकित्सकीय दृष्टि से लू-तापघात के लक्षण, लवण व पानी की आवश्यकता और अनुपात विकृति के कारण होती है। मस्तिष्क का एक केन्द्र जो मानव के तापमान को सामान्य बनाए रखता है, काम करना छोड़ देता है। लाल रक्त कोशिकाएं रक्त वाहिनियों में टूट जाती है। कोशिकाओं में जो पोटेशियम लवण होता है वह रक्त संचार में आ जाता है, जिससे हृदय गति, शरीर के अन्य अंग व अवयव प्रभावित होकर लू तापघात के रोगी को मौत के मुंह तक में धकेल देते हैं।
लू तापघात के लक्षण
लू व तापघात से सिर में भारीपन व अत्यधिक सिरदर्द होने लगता है। अधिक प्यास लगना, शरीर में भारीपन के साथ थकावट, जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढऩा (105 एफ या अधिक), पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना, त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास का लगना व बेहोशी जैसी स्थिति का होना लक्षण आने लगते हैं।
तत्काल करें प्राथमिक उपचार
प्रभावित को तुरंत छायादार जगह पर कपड़े ढीले कर लेटा दें। रोगी को होश में आने की दशा में उसे ठण्डा पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पना दें। प्याज का रस अथवा जौ के आटे को भी ताप नियंत्रण के लिए मले।
रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिए यदि सम्भव हो तो उसे ठण्डे पानी से नहलाएं या उसके शरीर पर ठण्डे पानी की पट्टियां रखकर पूरे शरीर को ढक दें। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं, जब तक की शरीर का ताप कम नहीं हो जाता। उसे तत्काल निकट की चिकित्सा संस्थान में ले जाएं।
बिना भोजन किए बाहर न निकलें
सम्भव हो तो अब धूप में न निकलें, धूप में शरीर पूर्ण तरह से ढक़ा हो। धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़ों का उपयोग करें। बहुत अधिक भीड़, गर्म घुटन भरे कमरों से बचें। रेल, बस आदि की यात्रा अत्यावश्यक होने पर ही करें, बिना भोजन किए बाहर न निकलें। भोजन करके एवं पानी पीकर ही बाहर निकलें। गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर को गमछे या तौलिये से ढककर ही धूप में निकलें। रंगीन चश्में एवं छतरी का प्रयोग करें। गर्मी मे हमेशा पानी अधिक मात्रा मे पियें एवं पेय पदार्थों जैसे नींबू पानी, नारियल पानी, जूस आदि का प्रयोग करें।