केस -1
मरां निवासी पिता की मौत दो वर्ष पहले हो गई। मां को आंखों से नहीं दिखता। इलाज में जमीन गिरवी रख दी। पढाई के समय पढाई व साथ ही छुट्टी के दिन छोटी उम्र में ही मजदूरी करनी पड़् रही। 40 वर्षीय मरां निवासी रामघणी मीणा को आखों से नहीं दिखता। परिवार का भरणपोषण पति पर ही था जो भी बीमारी से ग्रसित हो गया। पैसे नहीं होने से तीन बीघा जमीन थी वह भी गिरवी रखकर उपचार करवाया। बाद में बचा नहीं पाए। अब परिवार में दो बच्चों की मुश्किल बढ़ गई। सिर्फ विधवा पेंशन से काम चला रहे।
केस - 2
मूण्डली निवासी 40 वर्षीय शंकरी बाई गुर्जर ने बताया कि पति की मौत लगभग बारह-तेरह वर्ष पहले हो चुकी। दो पुत्रियां है। बड़ी पुत्री 12वीं में पढती है व छोटी पुत्री अनिता 8वीं में, दोनों सरकारी स्कूल में पढती है। फिर भी सरकारी योजनाओं से वंचित है। मेहनत मजदूरी कर खाने-पीने की व्यवस्था करती है व दोनो पुत्रियों को भी शिक्षा दिला रही है। योजनाओं का लाभ केवल विधवा पेंशन के 500 रुपये मिलते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का भी लाभ नहीं मिला।
केस - 3
कालानला निवासी पिता गंभीर बीमारी से ग्रसित होने से कोरोनाकाल में मौत हो गई। विधवा मेहनत मजदूरी कर तीन बच्चों का भरणपोषण कर रही। पालनहार योजना का लाभ नहीं मिल रहा। 38 वर्षीय कालानला निवासी सोदानी बाई मीणा ने बताया कि पति बीमारी से ग्रसित होने के चलते एक वर्ष पहले कोरोनाकाल के समय मौत हो गई। अब तीन संतानों को पालना मुश्किल हो रहा। ईमित्र पर आवेदन भी किया, लेकिन लाभ नहीं मिल रहा।
बच्चों को लाभ मिले, यह लक्ष्य है। जो बच्चे छूट रहे उन्हें दिखवाया जाएगा।
सुनील मीणा, सहायक निदेशक, समाज कल्याण विभाग, बूंदी