यह होती है जियो टैगिंग
पात्र परिवार आवासहीन है या उसके कच्चा घर है। वर्तमान आवास की मौके की स्थिति व आवास निर्माण का प्रस्ताविश्रत स्थान को जीपीएस के माध्यम से सीधे पोर्टल पर अपलोड करने को जियो टैङ्क्षगग कहते हैं।
भूल किसी की, परेशान कोई
रजलावता सरपंच रामस्वरूप बिल्डर, दुगारी सरपंच रामलाल खींची, बांसी सरपंच सत्यप्रकाश शर्मा, फुलेता सरपंच आशाराम बैरवा का कहना है कि यह भूल हमारे कार्यकाल से पहले के सरपंचों के कार्यकाल में हुई। उस समय ग्राम पंचायतों की ग्राम सभाओं से अनुमोदन के बाद पात्र परिवारों की सूचियां पंचायत समिति भेज दी थी। ग्राम पंचायतों व पंचायत समिति प्रशासन को सूचियों को जियो टैङ्क्षगग कराकर वेब पोर्टल पर अपलोड कराना था। जियो टैङ्क्षगग नहीं होने से सूचियां प्रदर्शित होने से रह जाने की भूल अब भारी पड़ रही है।
लोकसभा अध्यक्ष को बताया मामला
जिला परिषद सदस्य शक्तिङ्क्षसह आसावत का कहना है कि क्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधियों ने मामले को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के सामने रखा गया है। जो मामले को दिखवा रहे हैं।
लापरवाही नहीं रही
विकास अधिकारी का कहना है कि उस समय प्रधानमंत्री आवास के पात्रों के नाम दोनों ही प्रकार मोबाइल व वेब पोर्टल से सॉफ्टवेयर पर अपलोड के आदेश आए थे। वेबपोर्टल पर अपलोड वाले नाम प्रदर्शित नहीं हो रहे। अपलोड करने में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं रही थी।