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निजी हाथों में ही चल रहा नैनवां का बीएजेएम कॉलेज,कॉलेज सरकारी करने की धरातल पर नहीं उतरी घोषणा

locationबूंदीPublished: Jan 17, 2020 01:09:57 pm

नैनवां. मुख्यमंत्री की बजट सत्र में नैनवां के भगवान आदिनाथ जयराज मारवाड़ा महाविद्यालय को सरकारी दर्जा देने की घोषणा 6 माह बाद भी धरातल पर नहीं उतरी।

निजी हाथों में ही चल रहा नैनवां का बीएजेएम कॉलेज,कॉलेज सरकारी करने की धरातल पर नहीं उतरी घोषणा

निजी हाथों में ही चल रहा नैनवां का बीएजेएम कॉलेज,कॉलेज सरकारी करने की धरातल पर नहीं उतरी घोषणा

नैनवां. मुख्यमंत्री की बजट सत्र में नैनवां के भगवान आदिनाथ जयराज मारवाड़ा महाविद्यालय को सरकारी दर्जा देने की घोषणा 6 माह बाद भी धरातल पर नहीं उतरी। मुख्यमंत्री ने 10 जुलाई 2019 को राज्य का बजट पेश किया तब कॉलेज को राज्याधीन करने की घोषणा की। घोषणा के बाद नैनवां उपखंड के लोग कॉलेज को सरकारी मानने लगे, लेकिन यह सपना कागजों में अब तक साकार नहीं हुआ। घोषणा के 6 माह बाद भी कॉलेज में सरकारी स्टाफ नहीं लगा। संचालन भी सरकारी हाथों में नहीं लिया गया। जबकि 6 वर्ष पहले भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही कॉलेज की 26 जुलाई 2013 को सरकारी घोषित किया था। उस समय तो सरकार ने कॉलेज को सरकारी घोषित करने के साथ ही एक माह बाद ही 26 सितम्बर 2014 को सरकारी प्राचार्य नियुक्त भी कर दिया था, लेकिन उसी वर्ष प्रदेश में सरकार बदल गई। हिण्डोली सीट से कांग्रेस का विधायक चुना गया तो भाजपा ने सत्तासीन होते ही 26 सितम्बर 2014 को कॉलेज से सरकारी दर्जा छीन लिया था। वापस कांग्रेस सरकार बनी और अपने पहले बजट में ही दस जुलाई 2019 को मुख्यमंत्री ने कॉलेज को सरकारी करने की घोषणा की, लेकिन इस घोषणा को भी पूरा नहीं किया गया।
2003 में हुई थी स्थापना
नैनवां में कॉलेज की आवश्यकता को देखते हुए यहां 21 जुलाई 2003 को स्ववित्तपोषी महाविद्यालय की स्थापना हुई थी। तीन वर्ष में सरकारी दर्जा देने के हिसाब से जिला कलक्टर ने भूमि आरक्षित की थी।
इन गांवों के लोगों को इंतजार
स्ववित्तपोषी भगवान आदिनाथ जयराज मारवाड़ा महाविद्यालय सरकारी होने से नैनवां उपखंड सहित हिण्डोली, इन्द्रगढ़ व टोंक जिले के ढाई सौ से अधिक गांवों के बेटे-बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए सरकारी कॉलेज मिलता। जिला मुख्यालय पर ही एक मात्र सरकारी कॉलेज होने और इसकी उपखंड के गांवों से 70 से 8 0 किमी दूरी होने से पहुंच मुश्किल हो गई। इसी का परिणाम रहा कि यहां लंबे समय से सरकारी कॉलेज मांग रही।नैनवां उपखंड की मुख्यालय से 30 किमी की परिधि में पचास से अधिक सीनियर सैकण्डरी स्कूल है। 12वीं कक्षा पास करने के बाद ग्रामीण विद्यार्थी उच्च शिक्षा तो प्राप्त करना चाहते हंै। परिवारों की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर होती है कि वह बूंदी में रखकर अपने बच्चों को पढ़ा सके। नैनवां उपखंड में पचास से अधिक सरकारी व निजी उच्च माध्यमिक विद्यालय है। जिनमें प्रति वर्ष दो हजार से अधिक बच्चे 12वीं कक्षा पास करते आ रहे हंै। 12वीं पास करने बाद ही विद्यार्थियों के अभिभावकों को उच्च शिक्षा के लिए बाहर भेजने की चिंता सताने लग जाती है। नैनवां उपखंड में 191 गांव शामिल है। इसके साथ ही नैनवां के नजदीकी हिण्डोली तहसील की सांवतगढ, रानीपुरा, छाबडियों का नयागांव, रूणीजा, गोठड़ा, टोंक जिले के बालूंदा, सतवाड़ा, गुराई, पलाई, बोसरिया, नगरफोर्ट, बालापुरा, घाड़, कनवाड़ा, भाणोली, ऐसी ग्राम पंचायते हंै जिनके गांव भी नैनवां से बीस किमी की परिधि में ही पड़ते हंै। जिनके लिए नैनवां सबसे सुविधाजनक स्थान है।
अभिनंदन समारोह में मंत्री ने कहा था
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद खेल राज्यमंत्री और क्षेत्रीय विधायक अशोक चांदना का कॉलेज सरकारी कराने पर महाविद्यालय विकास समिति की ओर से 10 दिन बाद ही बीस जुलाई 2019 को नागरिक अभिनंदन किया था। जिसमें मंत्री चांदना ने कहा था कि कॉलेज सरकारी होने का श्रेय का साफा तो मेरे सिर बंध गया। कॉलेज सरकारी होने के श्रेय नैनवां क्षेत्र के सभी लोगों को जाता है। मेरा पूरा ऑफिस कई दिनों तक इसी काम में लगा रहा। मंत्री होकर भी अधिकारियों की एक-एक टेबल पर घूमा।

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