रिंगटोन बजते ही भागते है छत की ओर
यहां नेटवर्क की स्थिति काफी खराब होने के कारण रिंगटोन बजते ही छत की ओर दौड़ लगानी पड़ती है। ग्रामीण योगेश मीणा बताते हैं कि किसी का फोन आ जाए तो बात करते वक्त आवाज कट-कट कर आती है। इसलिए छत पर जाकर बात करनी पड़ती है। रवि गुर्जर, देवराज गुर्जर, भैरू प्रकाश गुर्जर आदि ने बताया कि गांव में सभी कम्पनियों के नेटवर्क ठीक से नहीं आने से मोबाइल पर कुछ भी डाउनलोड करने के लिए छत पर बैठा रहना पड़ता है या फिर गांव से कुछ दूरी पर नहर के नाले पर बैठे रहकर फोन उपयोग में लेते हैं। नाले पर दिनभर दो पांच जने मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं। वहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और विद्यालय के स्टाफ को भी सम्बन्धित फाइल डाउनलोड करने व कहीं भेजने के लिए गांव के बाहर मैन रोड तक आना पड़ता है।
कैसे पढ़ें ऑनलाइन क्लास
वहीं अभिभावकों ने बताया कि कोरोना काल में बच्चों को ऑनलाइन क्लास भी दी जा रही है, लेकिन नेटवर्क नहीं आने से बच्चे को इससे वंचित रहना पड़ रहा है। दो साल से कोरोना और नेटवर्क की समस्या के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
लम्बे समय से नेटवर्क की समस्या से जूझना पड़ रहा है। किसी का भी फोन आ जाए तो भागकर छत पर जाना पड़ता है। कुछ डाउनलोड करना हो तो गांव से आधा किलोमीटर दूर नहर के नाले पर जाना पड़ता है। यहां किसी भी कम्पनी के नेटवर्क नहीं आते।
योगेश मीणा।
इस गांव में नेटवर्क की बहुत समस्या है। विद्यालय सम्बन्धित कोई भी सूचना या फाइल आती है, तो डाउनलोड करने के लिए या फिर कुछ भी सूचना भेजनी हो तो विद्यालय छोडकऱ सडक़ तक जाना पड़ता है। तब जाकर नेटवर्क आते हैं।
मिथलेश मीणा, प्रधानाध्यापिका, राजकीय प्राथमिक विद्यालय
नेटवर्क की समस्या से परेशान हैं। कई बार तो लोग फोन करते हैं तो नेटवर्क क्षेत्र से बाहर बताता है। फिर सडक़ तक या आधा किमी दूर नहर के नाले तक जाते हैं। तब मैसेज आते हैं और लोगों को वापस फोन करके बात करते हैं।
सांवरिया गोचर, ई मित्र संचालक