सामग्री की खरीद जेल मुख्यालय की ओर से अनुमोदित दरों के अनुसार होगी। अगर जिला स्तर पर सहकारी उपभोक्ता भंडार नहीं है तो कारागार प्रभारी नजदीकी जिले के सहकारी उपभोक्ता भंडार से एमओयू कर यह व्यवस्था करेंगे। इसके साथ जेल प्रशासन बंदियों के हिसाब से डिमांड भेजेगा। उस हिसाब से विभाग को सामग्री उपलब्ध होगी। पहले मुख्यालय ठेका करता था। इसमें निजी ठेकेदार हिस्सेदारी लेते थे, लेकिन अब सरकार ने सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए सहकारी उपभोक्ता भंडार से खाद्य सामग्री खरीदने के निर्देश दिए हैं। जेल प्रशासन बकायदा बंदियों के अनुसार डिमांड भेजेगा, फिर सहकारी उपभोक्ता एक महिने का राशन उपलब्ध कराएगा। खाद्य सामग्री को सही ढंग से पैङ्क्षकग कर उन्हें सुरक्षित जेल तक पहुंचाने का लिए लिए सहकारी उपभोक्ता भंडार को भी पाबंद किया गया है।
जांच करके ही लेनी होगी खाद्य सामग्री
जेल मुख्यालय के आदेशों के अनुसार जेल में आने वाले तेल, घी, दाल, मसाले सहित अन्य खाद्य सामग्री उच्च गुणवत्ता वाले, एफएसएसआई मानकों के अनुसार और एगमार्क के ही भेजे जाएंगे। सभी जेलर और उप कारापाल को आदेश हैं कि जेल में खाद्य सामग्री आने से पूर्व वे सभी इनकी जांच करेंगे और उसके बाद ही खाने के लिए इनका प्रयोग किया जाएगा।
वर्तमान में सवा सौ बंदी जिला कारागृह में
वर्तमान में बूंदी जिला कारागृह में सवा सौ बंदी है। क्षमता 354 की है। जेल में बंद बंदियों का सुबह से लेकर शात तक का चाय से लेकर नाश्ता ओर भोजन का समय निर्धारित है। जेल खुलने के साथ बाद सुबह 7 बजे चाय और नाश्ता दिया जाता है। नाश्ते में सात दिनों में अलग-अलग तरह का नाश्ता जैसे पोहा, उपमा, चने आदि दिए जाते हैं। इसके बाद खाना दिया जाता है। खाने में गेहूं की रोटी, दाल एवं सब्जी दी जाती है, जो की सातों दिन अलग-अलग होती है। इसके बाद दोपहर 3 बजे सभी बंदियों को उबले हुए चने तथा शाम को फिर से खाना दिया जाता है।
भोजन की गुणवत्ता में होगा सुधार
सहकारी उपभोक्ता से मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता और अधिक उत्तम गुणवत्ता की होगी। पहले ठेकेदार राशन वाला ही लेते थे तो वो एक डाइट फिक्स हो जाती थी। डाइट के हिसाब से राशन लाकर देता था।
डेढ़ से दो गुणा बढ़ जाएगी दर
सहकारी उपभोक्ता भंडार से खाद्य सामग्री लेने में जेल का खर्च पहले से डेढ़ से दो गुणा बढ़ जाएगा। खाने पर जो सरकार का खर्च आता है वो अब उपभोक्ता भंडार से लेने में बढ़ जाएगा। उपभोक्ता भंडार बाजार दर से जेल प्रशासन को सामग्री देगा। जबकि पहले टेंडर प्रक्रिया में कंपिटिशन के चलते ठेकेदार दर तय करते थे। पहले 29 से 30 रुपए की डाइट पड़ती थी। जिसमें दो समय का भोजन, चाय, नाश्ता और हर रविवार को खीर या हलवा। ऐसे में अब सहकारी भंडार से लेने में यह खर्च लगभग डेढ़ से दो गुणा बढ़ जाएगा।
सहकारी उपभोक्ता को बढ़ावा देना
जेलों में बंद कैदियों और विचाराधीन बंदियों के भोजन के लिए सहकारी उपभोक्ता भंडार से ही खाद्य सामग्री खरीदने के निर्देश दिए है। ठेका व्यवसाय जेल मुख्यालय ने बंद कर दिया है। बूंदी जिला कारागृह में वर्तमान में सवा तीन सौ बंदी है। सहकारी उपभोक्ता भंडार को बढ़ावा देने की जेल प्रशासन की पहल है।
निरंजन शर्मा, जेल उप अधीक्षक, जिला कारागृह,बूंदी