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रामगढ़ विषधारी अभयारण्य भी झेल चुका लापरवाही का संक्रमण

locationबूंदीPublished: Aug 08, 2020 07:32:39 pm

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व जैसी लापरवाही का संक्रमण बूंदी जिले का रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य तो तीन दशक पहले ही झेल चुका। इसी प्रकार की लापरवाही के कारण ही बाघों का जच्चाघर बूंदी जिले के रामगढ़-विषधारी वन्यजीव अभयारण्य कई वर्षो से पहले ही बाघ विहीन हो गया था।

रामगढ़ विषधारी अभयारण्य भी झेल चुका लापरवाही का संक्रमण

रामगढ़ विषधारी अभयारण्य भी झेल चुका लापरवाही का संक्रमण

रामगढ़ विषधारी अभयारण्य भी झेल चुका लापरवाही का संक्रमण
अब चल रही बाघों को वापस बसाने की तैयारी
नैनवां. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व जैसी लापरवाही का संक्रमण बूंदी जिले का रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य तो तीन दशक पहले ही झेल चुका। इसी प्रकार की लापरवाही के कारण ही बाघों का जच्चाघर बूंदी जिले के रामगढ़-विषधारी वन्यजीव अभयारण्य कई वर्षो से पहले ही बाघ विहीन हो गया था। हालांकि अब परिस्थितयों बदली है और वन्यजीव विभाग द्वारा रामगढ़ अभयारण्य को वापस पहले जैसा स्वरूप देने की तैयारी को सुखद संकेत के रूप में देखा जा सकता है। जब सुरक्षा व्यवस्था कमजोर थी तो रामगढ़ अभयारण्य में भी इसी तरह कई बाघ बीमारी से दम तोड़ते चले गए तो कई बाघ शिकारियों के हत्थें चढ़ गए।
बाघों की मौत को लेकर विभाग बचाव के कुछ पुख्ता इंतजाम करने की बजाए लापरवाह बना रहा। वन्यजीवों की भरमार को देखते हुए वर्ष रामगढ़ विषधारी के 307 वर्ग किमी परिधि के जंगल को 1982 में रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य घोषित हुआ था। उस समय केन्द्र व राज्य की अलग-अलग टीमों द्वारा की गई गणना में जंगल 14 बाघों की उपस्थिति मानी थी।
अभयारण्य घोषित होने से पहले वन्यजीव विभाग का कोई दखल नहीं था तो जंगल में बाघों का कुनबा पूरी तरह सुरक्षित था। अभयारण्य घोषित होने के साथ ही विभाग ने सुरक्षा की जिम्मेदारी की कमान संभालते ही बाघों का कुनबा घटता गया। अभयारण्य घोषित होने के तीन माह बाद 1985 से ही बाघों की संख्या में कमी आती चल गई और विभाग की 1999 की वन्यजीवों की गणना में बाघ लुप्त मिले। 14 बाघों का कुनबा 14 वर्ष में ही लुप्त हो चुका था। इस बीच 15 अगस्त 1991 में बाघ के शिकार के आरोप में एक आरोपी की वन्यजीव विभाग की अभिरक्षा में मौत के बाद अभयारण्य को लावारिस हाल में छोड़ दिया। उसी दिन से अभयारण्य की बर्बादी के दिन शुरु हो गए थे।
अब सुरक्षा की पूरी तैयारी
प्रस्तावित टाइगर रिजर्व क्षेत्र को देखते हुए वन्यजीव विभाग ने रामगढ़-विषधारी अभयारण्य के अन्दर फोटो ट्रेप कैमरें स्थापित कर रखे हैं। सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखने के लिए अभयारण्य में बाघों व अन्य वन्यजीवों की शिफ्टिंग के साथ वन्यजीव विभाग नए सुरक्षा कर्मियों को भी तैनात कर चुका है। सुरक्षा के लिए रामगढ़-विषधारी अभयारण्य की दोनों रेंज जैतपुर व रामगढ़ के अलावा आठ स्थानों लुहारपुरा, खटकड़, गुढा सदावर्तिया, रामगढ़, दलेलपुरा, दरा का नयागांव, आकोदा व भैरूपुरा मेंं नाकों पर भी सुरक्षा मजबूत कर रखी है।
थमा नहीं बाघों का आना-जाना
परिस्थितियों में बदलाव आया है। तो बाघों ने वापस आना शुरु कर दिया। वन्यजीव विभाग अभयारण्य को प्रस्तावित चौथा टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित करने से बाघों को शिफ्ट करने की तैयारी में लगा हुआ है। बाघों को सुरक्षा देने की भी तैयारी है। सुरक्षा मिलने लगी तो बाघ खुद ही चलकर आनेे लगे है। हाल ही अभयारण्य में अचानक एक बाघ की मौजूदगी ने अधिकारियों को भी चौंका दिया था। बीच-बीच में बाघ पुरखों के घर को वापस आबाद करने का सुखद संकेत भी देते आए। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से कई बार बाघ अभयारण्य में आते व जाते रहेे। 2002 में कई दिनों तक बाघ की उपस्थिति रही। फिर पांच वर्ष बाद फिर नवम्बर 2007 में दूसरा बाघ आया तो 2012 में तीसरा बाघ टी-62 भी करीब डेढ़ साल तक अभयारण्य में गुजार तक वापस लौट गया।

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