बूंदीPublished: Jan 19, 2020 10:06:31 pm
पंकज जोशी
बूंदी. विगत कुछ सालों से कमजोर मानसून के चलते जिले के चुनिंदा जलस्रोतों तक सिमटे प्रवासी पक्षियों का कलरव एक बार फि र से जिले के सभी जलाशयों में सुनाई देने लगा है।
जलाशयों पर पंहुचे रंगीले मेहमान, अरसे बाद दिखी बूंदी में परिंदों की रौनक
बूंदी. विगत कुछ सालों से कमजोर मानसून के चलते जिले के चुनिंदा जलस्रोतों तक सिमटे प्रवासी पक्षियों का कलरव एक बार फि र से जिले के सभी जलाशयों में सुनाई देने लगा है। इस साल जिला मुख्यालय सहित नैनवां, लाखेरी, केशोरायपाटन व हिण्डोली इलाकों के सभी जलाशय लबालब हैं, जिससे पक्षियों को भी पूरे जिले में अच्छे आश्रय स्थल मिल गए है। इन दोनों पूरे राजस्थान में जलीय पक्षियों की गणना चल रही हैं। जिले में भी वन विभाग पक्षी विशेषज्ञों व वनकर्मियों के माध्यम से गणना करने में जुटा हुआ है। रविवार को रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य के शम्भू सागर, बड़ा बंधा, ठंडी झरी, भैरूपुरा तालाब व जैत सागर झील में पक्षियों की गणना की।
यहां लाल सिर वाली बत्तखों की रंगत
पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक बूंदी पृथ्वी सिंह राजावत ने बताया कि लाखेरी मार्ग पर गेण्डोली व गूंथा गांव के तालाबों में काफी लंबे समय बाद दुर्लभ प्रजाति के लाल सिर वाले पोचार्ड प्रवासी पक्षियों का कलरव पक्षी प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आमतौर पर यह खूबसूरत पक्षी जिले के बरधा व अभयपुरा वेटलैंड पर ही शीतकालीन प्रवास पर आते हैं। बत्तखों की यह प्रजाति ज्यादातर समय पानी में या पानी के किनारे पर दिखती हैं। इस पक्षी के प्रजनन का समय भारत में सर्दियों के खत्म होने पर होता है। इस दौरान ये सभी पक्षी अपने प्रजनन क्षेत्रों में वापस चले जाते है।