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शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों से बरसेगा अमृत

locationबूंदीPublished: Oct 13, 2019 12:58:09 pm

बूंदी. चंद्रमा सालभर में शरद पूर्णिमा की तिथि में ही अपनी षोडश कलाओं को धारण करता है।

शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों से बरसेगा अमृत

शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों से बरसेगा अमृत

बूंदी. चंद्रमा सालभर में शरद पूर्णिमा की तिथि में ही अपनी षोडश कलाओं को धारण करता है। इस बार शरद पूर्णिमा पर रविवार को पूरा चंद्रमा दिखाई देने के कारण महापूर्णिमा भी कहा जाएगा। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है, इसलिए इस दिन का विशेष महत्व बताया है।
आश्विन शरद पूर्णिमा पर इस बार 16 कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसेगा। इसी दिन माता लक्ष्मी, चंद्रमा और देवराज इंद्र का पूजन रात्रि के समय होता है। ज्योतिषाचार्य अमित जैन के अनुसार पूर्णिमा तिथि सूयोदय से लेकर 14 अक्टूबर की रात 2.38 बजे तक रहेगी। वहीं 13 अक्टूबर की शाम 5.26 बजे चंद्रोदय का समय है।
खीर को खुले में रखना चाहिए
इसी दिन भगवान चंद्रदेव की पूजा गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी से की जाती है। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा को अघ्र्य देकर और पूजन करने के बाद चंद्रमा को खीर का भोग लगाना चाहिए। रात 10 बजे से 12 बजे तक चंद्रमा की किरणों का तेज अधिक रहता है। इस बीच खीर के बर्तन को खुले आसमान में रखना फलदायी होता है, उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं और वह मन, मस्तिष्क व शरीर के लिए अत्यंत उपयोगी मानी जाती है। इस खीर को अगले दिन ग्रहण करने से घर में सुख-शांति और बीमारियों से छुटकारा मिलता है। शरद पूर्णिमा की रात में चांदनी में रखे गए खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने का विधान है।
शरद पूर्णिमा की रात ही श्रीकृष्ण ने रचाया था रास
श्रीकृष्ण से जुड़ी मान्यता प्रचलित है कि शरद पूर्णिमा की रात ही श्रीकृष्ण ने गोपियों संग रासलीला रचाई थी। इसी वजह से वृंदावन में आज भी शरद पूर्णिमा पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। इसे रासलीला की रात भी कहा जाता है। एक अन्य मान्यता यह है कि इस रात महालक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है और जो जाग रहा होता है, लक्ष्मी उसके घर निवास करती है। इस कारण शरद पूर्णिमा की रात जागरण का विशेष महत्व है। लोग रातभर जाग पूजा-पाठ करते हैं। घर के बाहर लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीपक जलाए जाते हैं।
नवग्रहों में प्रत्यक्ष है चंद्रमा
ज्योतिषाचार्य जैन ने बताया कि नवग्रहों में हम सूर्य और चांद को ही देख सकते है। चंद्रमा को प्रत्यक्ष देव माना है। समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक चंद्रमा को मानते हैं। इस दिन लोग रात्रि में खीर बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाते हैं। खीर को खुली चांदनी में रखा जाता है। जिससे औषधि गुण वाली चंद्रमा की किरणें मिलती है। इन किरणों से अमृत बरसता है। इस दिन मंदिरों में पूजा पाठ, हवन, भजन संध्या, लक्ष्मी पाठ कीर्तन, जागरण होते हैं।
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