संघर्ष का प्रतीक है विजयद्वार का स्थापना दिवस मनाया
ब्रिटिश हूकूमत के खिलाफ कस्बे वासियों के आंदोलन की सफलता के प्रतीक विजय द्वार का 75 वां स्थापना दिवस के अवसर पर यहां गुरुवार रात सुंदरकांड के पाठ में तीन घंटे तक श्रद्धालु भक्ति रस में डूबे रहे।

लाखेरी.ब्रिटिश हूकूमत के खिलाफ कस्बे वासियों के आंदोलन की सफलता के प्रतीक विजय द्वार का 75 वां स्थापना दिवस के अवसर पर यहां गुरुवार रात सुंदरकांड के पाठ में तीन घंटे तक श्रद्धालु भक्ति रस में डूबे रहे। सायं 6 बजे विजयद्वार के स्थापना दिवस के मौके पर विजयद्वार सद्भावना मंच की ओर से आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में बडी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए। संगीतमयी वाघ यंत्र, हारमोनियम, तबला, ढोल, पियानों के साथ रामायण की चौपाइयों ने श्रद्धालुओं को भकित रस में डूबो दिया। रात 9 बजे महाआरती के साथ पाठ का समापन किया।
प्रारंभ में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व जिला प्रमुख राकेश बोयत व अध्यक्षता कर रहे नगर कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष चौथमल पंचौली ने गणपति वंदना के साथ पाठ की शुरूआत की और के एम शर्मा, मुकेश सोनी, देवेंद्र झा, मनमोहन दुबे ने संगीतमयी सुंदरकांड के पाठ का वाचन शुरू किया। इस मौके पर आयोजन समिति की ओर से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष के साक्षी रहे बाबूलाल सेदावत, मोहनलाल तंबौली, चतुर्भुज मेहतर, हरिनारायण देवता, तुलसीराम तंबौली को सम्मानित किया। इस दौरान पंकज जैन, प्रयागराज शर्मा, अमित बजाज, चेतन सनाढय, जिला परिषद सदस्य कृष्ण चंद्र वर्मा, पवन गर्ग, कृष्ण मुरारी शर्मा, दीपक सोनी, कवि भूपेंद्र राठौड सहित कई लोग उपस्थित थे।
संघर्ष का प्रतीक है विजयद्वार
ब्रिटिश हुकूमत द्वारा यहां संचालित एसीसी सीमेंट उद्योग ने 1946 मेें कवारी माईन्स से पत्थर लाने के लिए रेलवे लाइन बिछाने का प्लान किया था। फैक्ट्री से माइन्स तक रेलवे लाइन भूमि पर ही बिछाई जा रही थी। कस्बे वासियों को दुर्घटना के अंदेशे के चलते उद्योग का प्रस्ताव नागवार गुजरा और सभी लोगों ने सीमेंट उद्योग के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन किया और कई माह तक आंदोलन चला। आखिरकार कस्बेवासियों की एकजुटता को देखते हुए ब्रिटिश हुकूमत को झुकना पड़ा और कस्बे के बीचों बीच से निकलने वाली जमीनी रेलवे लाइन को आधा किमी लंबा पुल बना कर निकाला गया।
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