बूंदीPublished: Jul 02, 2020 09:34:22 pm
पंकज जोशी
रणथभौर राष्ट्रीय उद्यान से टेरेटरी के संघर्ष को लेकर गत वर्ष 2019 में बाहर निकले बाघ टी 115 ने रामगढ़ अभयारण्य में प्रवेश कर लिया है। यह बाघ लंबे समय से खरायता क्षेत्र में ही घूम रहा था।
टी 115 बाघ पहुंचा है रामगढ़, फोटो ट्रेप में हुआ कैद
टी 115 बाघ पहुंचा है रामगढ़, फोटो ट्रेप में हुआ कैद
टी 59 का है शावक, बूंदी में छाई खुशी
खरायता के पास 6 माह से मौजूद था
अभयारण्य क्षेत्र में 11 फोटो ट्रेप कैमरे लगाए
बूंदी. रणथभौर राष्ट्रीय उद्यान से टेरेटरी के संघर्ष को लेकर गत वर्ष 2019 में बाहर निकले बाघ टी 115 ने रामगढ़ अभयारण्य में प्रवेश कर लिया है। यह बाघ लंबे समय से खरायता क्षेत्र में ही घूम रहा था। इस दौरान यह कोटा के सुल्तानपुर रेंज में भी गया, लेकिन कुछ समय बाद ही वापस खरायता क्षेत्र में आ गया। तब से यह वहीं विचरण कर रहा था। सोमवार को बाघ के बांसखोळ के जंगलों से होते हुए रामगढ़ में होने की वनाधिकारियों ने पुष्टि कर दी। बुधवार को बाघ की मॉनिटरिंग के लिए लगाए गए 11 फोटो ट्रेप कैमरों में फोटो भी कैद हुई है। इसके आधार पर विभाग इसे टी 115 होना बता रहा है। बाघ बुधवार को भी अभयारण्य क्षेत्र में घूमा। जानकारों ने बताया कि रुकने से पहले वह समूचे जंगल क्षेत्र में घूमेगा। बाघ के रामगढ़ में आने के बाद समूचे जिले के पर्यावरण प्रेमियों में खुशी छा गई।
फलौदी रेंज में ही रहता था मुवमेंट
पर्यावरण प्रेमी एम.डी. पाराशर के अनुसार बाघ टी 115 का रणथंभौर के जोन 10 में फलौदी रेंज में मुवमेंट रहता था, लेकिन यहां अन्य बाघ और बाघिनों के आने के बाद टेरेटरी के लिए बूंदी की ओर रुख कर लिया। तभी से यह बूंदी के खरायता, सखावदा आदि क्षेत्र में घूम रहा था।
यह है बाघ का इतिहास
बाघ टी 115 रणथभौर की बाघिन 59 का शावक है। वहीं यह बाघिन टी 62 के सपर्क में रही है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि टी 62 इसका पिता होने की संभावना है।
गौरतलब है कि टी 62 वर्ष 2011 में रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में अपनी टेरेटरी बना चुका है, लेकिन बाघिन नहीं होने के कारण करीब डेढ़ साल बाद वापस रणथंभौर लौट गया था। हालांकि इस मामले में टी 115 के पिता के रूप में टी 42 यानि फतेह को भी देखा जा रहा है। इसका कारण यह है कि टी 59 लंबे समय तक टी 42 के संपर्क में भी रही थी। टी 62 ने टी 42 को जोन 9 से टेरेटरी संघर्ष में आगे खदेड़ दिया था।
ब्रोकन टेल ने तलाशा था रास्ता
रामगढ़ में आने की शुरुआत ब्रोकन टेल ने वर्ष 2003 में की। इसके बाद युवराज आया। वर्ष 2013 में टी-62 जो करीब पौने दो वर्ष तक रामगढ़ में रहा। इसके बाद टी-91 आया, जिसे 3 अप्रेल 2018 के दिन मुकुन्दरा में शिफ्ट कर दिया था।
पर्यटन-रोजगार को लगेंगे पंख
बूंदी के पास रोजगार का एकमात्र सहारा पर्यटन रह गया। इस टाइगर रिजर्व से पर्यटन को मानों पंख लगने की उम्मीद रहेगी। अभी यहां हर वर्ष 17 हजार से अधिक विदेशी और 55 हजार से अधिक देशी पर्यटक आ रहे थे। ऐसे में गौरवशाली इतिहास, कला व संस्कृति को समेटे बूंदी में टाइगर सफारी से इसे और बढ़ावा मिलेगा। सैकड़ों युवाओं को रोजगार मिल सकेगा।
मेरे गृह जिले में बाघ के आने के बाद अब फोटो ट्रेप कैमरे से उसकी पहचान हो गई। मुख्यमंत्री एवं वनमंत्री ने भी इसे लेकर खुशी जाहिर की। यह बाघ जिले में पर्यटन विकास का नया रास्ता खोलेगा। इसके लिए वन अधिकारियों को भी बधाई।
अशोक चांदना, राज्यमंत्री एवं हिण्डोली विधायक