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पर्यटन उद्योग बेपटरी, तंगी से जूझ रहे कारोबारी

locationबूंदीPublished: Sep 26, 2020 07:32:19 pm

कोरोना वायरस खौफ के चलते बूंदी का पर्यटन व्यवसाय पटरी से उतर गया है। बूंदी में रोजगार का सबसे बड़ा साधन यही था। कोरोना काल में इसके प्रभावित होने से इससे जुड़े कई लोग काम बदलने को मजबूर हो गए।

पर्यटन उद्योग बेपटरी, तंगी से जूझ रहे कारोबारी

पर्यटन उद्योग बेपटरी, तंगी से जूझ रहे कारोबारी

पर्यटन उद्योग बेपटरी, तंगी से जूझ रहे कारोबारी
एडवांस बुकिंग निरस्त, लाखों का नुकसान
किसी ने शुरू किया दूध का कारोबार तो कोई बेच रहा आयुर्वेदिक दवाइयां
बूंदी. कोरोना वायरस खौफ के चलते बूंदी का पर्यटन व्यवसाय पटरी से उतर गया है। बूंदी में रोजगार का सबसे बड़ा साधन यही था। कोरोना काल में इसके प्रभावित होने से इससे जुड़े कई लोग काम बदलने को मजबूर हो गए। आलम यह हो गया कि बीते छह माह से संक्रमण काल में पेइंग गेस्ट हाउस व होटलों में सन्नाटा है। यही नहीं यहां आने के लिए इस साल की सारी एडवांस बुकिंग निरस्त हो गई है। इसके चलते लाखों रुपए के रोजगार का नुकसान हो गया। पेइंग गेस्ट हाउस संचालकों पर आर्थिक संकट खड़ा हो गया। आने वाले समय में भी पर्यटन व्यवसाय को पटरी पर लौटता नहीं देख कइयों ने अपना कारोबार बदल लिया। यहां देशी-विदेशी पर्यटक ही नहीं बल्कि छात्र-छात्राओं के दल भी नहीं आ रहे। बूंदी में अभी करीब 60 पेइंग गेस्ट हाउस और होटल संचालित हो रहे थे। ट्रैवल एजेंसियों से जुड़े लोगों ने बताया कि इस महामारी के चलते पर्यटन से जुड़े लोग खौफ में आ गए।
ठाले हुए गाइड
कोरोना वायरस की चपेट में चरमराए पर्यटन उद्योग को बड़ा झटका लगा। यूं तो पीक सीजन जुलाई व अगस्त के बाद से ही बूंदी में पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। विश्व के पर्यटन मानचित्र पर होने से बूंदी में महीनों पहले एडवांस बुकिंग कराने के बाद सीजन में पर्यटकों के आने का सिलसिला नहीं टूटता। इन्हें बूंदी में घुमाने वाले गाइड भी अब ठाले हो गए।
कोई कर्ज में तो कइयों ने बदला व्यापार
कोरोना संक्रमण की चपेट में आए पर्यटन व्यवसाय के बाद अब कई लोगों ने रोजगार बदल लिए। कई पेइंग गेस्ट हाउस संचालक खर्चा नहीं चलने से काम बदल रहे। कोई ने दूध का कारोबार शुरू किया तो किसी ने पुश्तैनी खेती बाड़ी में भाग्य आजमाना शुरू कर दिया। कुछ आयुर्वेदिक दवाओं के कारोबार से जुड़ गए। सबसे बड़ा नुकसान होटल लीज पर ले रखे लोगों को हो रहा है।
हर वर्ष आते 18 हजार विदेशी मेहमान
प्रदेश में उदयपुर, पुष्कर, जोधपुर के बाद सबसे अधिक विदेशी पर्यटक बूंदी में आ रहे थे। यहां विदेशी पर्यटकों के आने का सालाना आंकड़ा 18 हजार तक जा पहुंचा था। इससे बूंदी के परकोटे के भीतरी शहर में लोगों को पर्यटन व्यवसाय से कमाई होने लगी थी। अब कोरोना के खौफ ने सबकुछ चौपट कर दिया।
नहीं आ रहे दल
बूंदी में करीब 60 से ज्यादा होटल व पेईंग गेस्ट हाउस बन गए। इनमें अभी सिर्फ सन्नाटा दिख रहा। जानकारों ने बताया कि विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ कई स्कूल और कॉलेज के शोधार्थी भी नहीं आ रहे। जबकि विद्यार्थियों की बूंदी में अच्छी खासी संया बनी रहने लग गई थी। इनके नहीं आने से तो मानो पूरी चहल-पहल ही खत्म हो गई।
पर्यटन कारोबारियों की जुबानी…
कोरोना में सब कुछ खत्म हो चुका। सभी पेइड्डग गेस्ट हाउस व होटलें बंद हो गई। लॉकडाउन से पूर्व सीजन के लिए हुई सभी बुकिंग निरस्त हो गई। जबकि जुलाई से फ्रांस, इटली और स्पेन के पर्यटकों का जमावड़ा शुरू जाया करता था। पर्यटन से रोजगार की उमीदें बंध गई थी। कोरोना ने पर्यटन को सौ फीसदी प्रभावित किया।
भूदेव सिंह हाड़ा, संचालक, हाड़ी रानी पेईंग गेस्ट हाऊस, बूंदी
कोरोना के चलते खत्म हुए पर्यटन व्यवसाय के बाद अब खुद के व्यवसाय को लेकर चिंता हो गई। बिजली के बिलों की मार व अनावश्यक खर्चे, रिनोवेशन, टूटफूट आदि को ठीक कराना मुश्किल सा हो गया। पहली बार इस संकट ने बूंदी में पर्यटन का कारोबार पूरी तरह प्रभावित कर दिया। कारोबार बदलना पड़ेगा। आने वाले दो सालों तक अब पर्यटन व्यवसाय पटरी पर आना मुश्किल होगा, क्योंकि कोरोना ने पूरी दुनिया पर पांव जमा लिया। अब जब शुरू होगा तब गाइड लाइन क्या रहेंगी। विदेशी ही नहीं अब देशी पर्यटक भी नहीं आ रहे।
अभिजीत उपाध्याय, संचालक शिवम टूरिस्ट गेस्ट हाऊस, बालचंद पाड़ा, बूंदी
कोरोना के चलते बीते 6 माह से पर्यटन कारोबार में भारी नुकसान हो गया। कइयों की आर्थिक स्थिति अब ठीक नहीं रही। निजी पेईंग गेस्ट हाउस संचालकों के सामने ही कई संकट खड़े हो गए, ऐसे में जिन्होंने इस कारोबार से जुडकऱ लीज पर पेईंग गेस्ट हाउस लिए थे उनके सामने परेशानी अधिक हो गई। सरकार को पर्यटन व्यवसाय को बचाए रखने को लेकर विचार करना चाहिए। यह पूरे राजस्थान का विषय होना चाहिए।
सौरभ शर्मा, संचालक, राजमहल गेस्ट हाउस, बूंदी
कोरोना काल में 6 माह से बैठे-बैठे खा रहे। काम धंधा सब खत्म हो गया। आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। अब खाने के भी लाले पड़ रहे। पर्यटक नहीं आ रहे। सब बेरोजगार हो गए। अब गांव में खेती बाड़ी शुरू की। दो से ढाई लाख का कर्जा हो गया। कोरोना ने संकट बढ़ा दिया।
शंकर लाल चौपदार, संचालक, शंकर केफे, बालचंद पाड़ा, बूंदी

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