बूंदी

मलबे में बदल गया 50 लाख की छतरियों का निर्माण

बिना विचारे जो करे सो पीछे बचता है वाली कहावत धार्मिक नगरी में बह रही चर्मण्वती के सौंदर्यकरण योजना को लेकर चरितार्थ हो रही है।

बूंदीJul 06, 2020 / 09:17 pm

पंकज जोशी

मलबे में बदल गया 50 लाख की छतरियों का निर्माण

मलबे में बदल गया 50 लाख की छतरियों का निर्माण
चंबल नदी किनारों के सौंदर्यकरण को लगा ग्रहण
केशवरायपाटन. बिना विचारे जो करे सो पीछे बचता है वाली कहावत धार्मिक नगरी में बह रही चर्मण्वती के सौंदर्यकरण योजना को लेकर चरितार्थ हो रही है। चंबल नदी की उपेक्षा एवं घाटों की दुर्दशा को सजाने संवारने की योजना के तहत पुरातत्व विभाग ने जो योजना बनाई थी। वह योजना मूर्त रूप नहीं ले पाए। बारिश में अपना रौद्र रूप दिखाने वाली चर्मण्यवती के घाटों को सुधारने के लिए वर्ष 2018 में योजना बनाकर चंबल नदी के किनारे 49 छतरियां बनाना प्रस्तावित था।
ठेकेदार ने महिला घाट से लेकर नाव घाट के बीच में 1 दर्जन से अधिक छतरियों का निर्माण करवाया। छतरियां चंबल के तट पर बने पुराने चबूतरों पर ही बनाई गई। उनकी सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा गया। बिना योजना के बनी छतरियों में 50 लाख रुपए की लागत आई, लेकिन यह छतरियां वर्ष 2019 में आए बाढ़ में बह गई। निर्माण के समय लोगों ने गुणवत्ता को लेकर विरोध किया, ध्यान नहीं दिया।
बिखरा पड़ा है छतरियों का मलबा
चंबल के तेज भाव से पानी के साथ उखड़ कर टुकड़े-टुकड़े हुई छतरियों को देखने के लिए कोई भी सक्षम अधिकारी नहीं आया तो नगर पालिका प्रशासन ने टुकड़ों में बदले छतरियों के पत्थरों को इक_ा करवा कर एक तरफ ढेर करवाया गया। जहां ढेर करवाया गया, वहां से भी पत्थर चोरी चले गए। नगर पालिका अधिशासी अधिकारी मनोज मालव ने बताया कि वर्ष 2019 में कार्तिक मेले के अवसर पर छतरियों का मलबा उठाने के लिए ठेकेदार से संपर्क किया था, लेकिन वह नहीं आया तो नगर पालिका को ही पत्थरों को इक_ा करवाना पड़ा। जिसके बाद कोई भी विभागीय अधिकारी यहां नहीं आया। अब यह पत्थर भी धीरे-धीरे गायब होने लग गए हैं।
एक करोड़ के काम वह भी अधूरे
पौराणिक केशव धाम एवं चंबल नदी के सौंदर्यीकरण के लिए स्वीकृत हुए चार करोड़ 77 लाख में से ठेकेदार ने 1 करोड़ रुपए खर्च किए, जिनका कोई लाभ नहीं मिल पाया। वर्ष 2019 में ठेकेदार ने इस बजट में धर्मशाला, बरामदा, छतरियों को प्राथमिकता दी, जो काम सबसे अंत में होना था, वह काम सबसे पहले किया गया। जिसे भी आधा अधूरा छोड़ रखा है।

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