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ताकती रह गई बूंदी, कोटा यूआईटी में शामिल हुए जिले के 13 गांव

locationबूंदीPublished: Jul 26, 2019 12:32:51 pm

जिले के 13 गांवों की सिवायचक भूमि को कोटा यूआईटी के नाम करने की लंबे समय से चली आ रही प्रक्रिया अब पूरी हो गई है।

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ताकती रह गई बूंदी, कोटा यूआईटी में शामिल हुए जिले के 13 गांव

-सिवायचक भूमि दर्ज हुई यूआईटी के नाम
बूंदी. जिले के 13 गांवों की सिवायचक भूमि को कोटा यूआईटी के नाम करने की लंबे समय से चली आ रही प्रक्रिया अब पूरी हो गई है।
सूत्रों के अनुसार पूर्व की सरकार ने जिले के 13 गांवों को कोटा यूआईटी में शामिल करने के आदेश जारी किए थे। जिसकी क्रियान्विती वर्तमान सरकार ने करवा दी। अब यह 13 गांव बूंदी जिले की सीमा में ही रहेंगे, लेकिन यहां पर कोटा यूआईटी विकास कार्य करवा सकेगी। इन गांवों की वर्ष 2013 के हिसाब से सिवायचक जमीन कोटा यूआईटी के नाम कर दी गई। सरकारी भूमियों के सभी खसरा नंबर व नामांतकरण की प्रक्रिया कोटा यूआईटी के नाम लगभग पूरी हो चुकी। जानकारों ने बताया कि बूंदी के इन राजस्व गांवों को कोटा यूआईटी में शामिल करने के पीछे मुख्य मकसद इन गांवों की सरकारी जमीन को हथियाना है।
इन गांवों को किया शामिल
जाखमंूड, गोविन्दपुर बावड़ी, लांबापीपल, भोपतपुरा, संवर, सीन्ता, तीरथ, मेहराणा, विनायका, बल्लोप, तुलसी व रामपुरिया गांवों को शामिल किया है। कोटा यूआईटी ने वर्ष 2010 में 8 गांव चिह्नित किए। बाद में वर्ष 2012 में तीन गांव और जोड़े। अंतिम निर्णय तक दो और जोड़ लिए।
तो विकास की बनेगी तस्वीर
जिले 13 गांवों की सरकारी भूमियों पर विकास की नई इबारत लिखी जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि यहां पर कई बड़े विकास कार्य हो सकेंगे।
यह काम कोटा के अधीन
जानकार लोगों की माने तो इन गांवों में बसे लोगों को दोहरे प्रशासन की मार झेलनी पड़ेगी। भूमि रूपान्तरण, भूमि नियमन, भूमि समर्पण, भू-उपयोग परिवर्तन जैसे काम कोटा नगर विकास न्यास के अधीन होंगे। जबकि प्रशासनिक कार्यों का संचालन बूंदी जिला प्रशासन के अधीन रहेगा। जानकारों का यह भी मानना है कि इस निर्णय से कोटा जिले का दायरा तो बढ़ेगा, लेकिन कोटा से पहले बसे बूंदी जिले का दायरा घट जाएगा।
जिला परिषद ने किया था ऐतराज
पूर्व जिला प्रमुख राकेश बोयत ने बताया कि 30 सितम्बर 2013, 31 जनवरी 2014 को जिला परिषद की बैठक में बूंदी के 11 राजस्व गांवों को कोटा यूआईटी में शामिल करने का विरोध किया था। प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजे गए थे। इसके बाद 26 मई 2014 को कोटा नगर नियोजन की बैठक में भी आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बावजूद बूंदी जिले के गांवों को यूआईटी कोटा में शामिल कर लिया गया।

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