बूंदीPublished: Jun 18, 2021 08:44:23 pm
पंकज जोशी
तालेड़ा से करीब छह किलोमीटर दूरी पर स्थित डेढ़ सौ साल पुराने बरधा बांध में मिट्टी खनन से बांध की उम्र घटने की आशंका पैदा हो गई है। जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान नहीं गया है। या फिर खनन माफियाओं से ऊंची सांठगांठ के चलते कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है।
ऐसे तो मर जाएगा डेढ़ सौ साल पुराना बरधा बांध
ऐसे तो मर जाएगा डेढ़ सौ साल पुराना बरधा बांध
जिम्मेदारों की चुप्पी पड़ेगी भारी : बांध के पैराफेरी और पेटे से खनन कर निकाल ली सैकड़ों डम्पर मिट्टी
नागेश शर्मा @ बूंदी . तालेड़ा से करीब छह किलोमीटर दूरी पर स्थित डेढ़ सौ साल पुराने बरधा बांध में मिट्टी खनन से बांध की उम्र घटने की आशंका पैदा हो गई है। जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान नहीं गया है। या फिर खनन माफियाओं से ऊंची सांठगांठ के चलते कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है। बांध के पेटे को देखने पर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि यहां माफियाओं ने जमकर मिट्टी का खनन किया है। बड़ी मशीनों को खनन के लिए काम लिया गया है। जबकि बांध पर जल संसाधन विभाग ने चौकीदार और अभियंताओं को तैनात कर रखा है। यदि इस मिट्टी खनन से 21 फीट भराव क्षमता के इस बरधा बांध में भी सीपेज शुरू हो गया तो बांध के ‘मरने’ से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस मामले में जानकारों की माने तो पेंदे से मिट्टी की परत हटने या फिर गहरी खाइयां होने से पानी का सीपेज होने की समस्या शुरू हो जाएगी। क्षेत्र के काश्तकार क्षेत्र के अधिकारियों के सुनवाई नहीं करने पर इस मसले को जिला कलक्टर तक पहुंचकर उठा चुके हैं। बतौर उदाहरण बात करें तो वर्ष 2010 में इसी प्रकार जिम्मेदारों के ध्यान नहीं देने से डेढ़ अरब रुपए की लागत से बना गरड़दा बांध पहली बारिश का पानी भी नहीं झेल पाया था। अब बरधा बांध की किसानों को चिंता सता रही है।
बरधा डेम हाड़ौती के गोवा के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है। वर्ष 1872 में ब्रिटिश गवर्नर रॉबर्टशन ने अल्फानगर इलाके में सिंचाई के लिए यह डेम करीब डेढ़ सौ साल पहले बनाया था। इस बांध से किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। इसके लिए नहर बनी हुई है। साथ ही बारिश के दिनों में यह सैलानियों के लिए पिकनिक स्पॉट बना रहता है। बूंदी-कोटा के अलावा प्रदेश के कई हिस्सों से लोग यहां फॉल से गिरते पानी का लुत्फ उठाने पहुंचते हैं। बांध की कुल भराव क्षमता 21 फीट हैं। जो बारिश के शुरू होने के कुछ दिनों में ही पूरी तरह से भर जाता है। यहां पानी में देशी-विदेशी परिंदे भी आते हैं।
हमने रात को 10 बजे भी फोन किए हैं, अभियंता और अधिकारी बार-बार यही रटते रहे कोई खनन नहीं हो रहा
बरधा बांध जल प्रबंधन समिति के कोषाध्यक्ष दयाराम गुर्जर ने बताया कि बांध को लेकर सर्वाधिक क्षेत्र के किसान चिंतित है। इसमें रात-दिन अवैध खनन हुआ है। माफिया रात के वक्त पेटे में और दिन के वक्त आस-पास की सरकारी जमीन में खनन कर रहे थे। बांध में जब बड़ी मशीनों से खनन करते दिखाई पड़े तो बांध की सुरक्षा को साफ खतरा दिखाई पड़ रहा था। इस मामले में जल संसाधन विभाग के अभियंताओं को फोन किया तो वह यही रटते रहे कि कोई खनन नहीं हो रहा। जब एक दिन आए भी तो फौरी तौर पर देखकर लौट गए। उसी रात को फिर खनन शुरू हो गया, जिसकी सूचना रात 10 बजे भी अभियंताओं को दी। गुर्जर ने बताया कि इस मामले में सिर्फ अधिशासी अभियंता ने गंभीरता दिखाई है, लेकिन अन्य सभी कार्रवाई करने वालों की खनन कर रहे लोगों से गहरी सांठगांठ के चलते उनकी भी चलती दिखाई नहीं दी। इस मामले में उपखंड और तहसील के मुखियाओं को भी अवगत कराया था। जब कहीं से कार्रवाई होती नहीं दिखी तो फिर 6 जून को 181 पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। मामला राज्य सरकार के ध्यान में लाया गया। बांध पर चौकीदार रहता है, बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। बांध से जमकर मिट्टी निकाली गई है, इससे बांध भरने के बाद सीपेज की समस्या बढऩे से इनकार नहीं किया जा सकता। जब यहां सुनवाई नहीं होती दिखी तो क्षेत्र के दर्जनों किसानों के साथ बूंदी जिला कलक्ट्रेट में गए और प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में खनन कर रहे लोगों के नाम बताए गए हैं। यदि इस मामले में जिला कलक्टर की ओर से भी जिम्मेदारों पर कार्रवाई और खनन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई तो चुप नहीं बैठेंगे। इस मामले में राज्य के जिम्मेदार मंत्रियों से मिलकर सारे हालात बताएंगे।
तालेड़ा थाने में रिपोर्ट सौंप दी
बांध से मिट्टी का खनन कर कोटा ले जाने की सूचना मिली थी। तब ही अभियंताओं को भेज दिया था। तब खनन कर रहे लोगों ने एसटीपी होने की बात कही थी, लेकिन बांध के पेटे में एसटीपी जारी नहीं हो सकती। बांध के पेटे को नुकसान पहुंचाने के मामले में 12 जून को तालेड़ा थाने में रिपोर्ट सौंप दी। बांध का दौरा किया है। अब बांध से खनन नहीं हो रहा है। पूरी निगरानी रखे हुए हैं। जो खनन हुआ है, उस मामले की पूरी जानकारी जुटा रहे हैं।
राजीव विजय, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग परियोजना खंड, बूंदी