बूंदी

बूढ़ी नहरों के भरोसे कब तक सपने देखे काश्तकार

बूंदी. क्षेत्र में बरसात थमने के बाद सीएडी प्रशासन के लिए नहरों की सफाई का कार्य चुनौती बन गया।

बूंदीOct 18, 2019 / 01:21 pm

पंकज जोशी

बूढ़ी नहरों के भरोसे कब तक सपने देखे काश्तकार

बूंदी. क्षेत्र में बरसात थमने के बाद सीएडी प्रशासन के लिए नहरों की सफाई का कार्य चुनौती बन गया। मानसून थमने के बाद कर्ज में डूबे भूमिपुत्र फिर से खेत खलियानों की राह पर चल पड़े। अब चम्बल की नहरों में ६ माह पानी छूटने की आस में किसानों ने फिर से खड़े होकर तैयारी शुरू की है। बुवाई के लिए खाद-बीज जुटाते दिख रहे हैं। छह माह नहरों के चहने से किसानों को अच्छी उपज मिलने की उम्मीद है।?लेकिन नहरों के हाल यहां सभी को चिंता दे रहे हैं। जल प्रवाह की तिथियां तय होने वाली है, लेकिन नहरों की दशा पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। इसके चलते केनाल की कई नहरों में ऐनक्त तक भी सफाई का काम पूरा नहीं हो पाएगा। नहरों की दशा यहां किसी से छिपी नहीं है। बूंदी जैतसागर तालाब के नाले का पानी अब तक नहर में बह रहा है। यहां नहर के ऊपर बना साइफन टूट गया। जिसे सीएडी ने फिर से नहीं बनवाया। ऐसे में अब तालाब के नाले का पानी सीधे नहर में प्रवाहित हो रह है। इसी का परिणाम है कि इस बार बारिश के बाद नहर कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गई। पानी नहर से होकर खेतों में पहुंच गया। जिससे कई जगहों पर खरीफ की फसल में भी भी किसानों को नुकसान झेलना पड़ गया। केनाल की वितरिकाओं के हाल तो और भी खराब है। इन वितरिकाओं के अभी नरेगा मजदूरों से झाड़-झंखाड़ ही हटाए जा सके हैं।?इनकी सतह में जमा मिट्टी को साफ नहीं किया गया। केनाल की अंधेड़, दौलाड़ा, औंकारपुरा, वितरिकाओं के क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत का कार्य समय रहते नहीं हो पाया। ऐसे में अब इनसे जुड़े टेल क्षेत्र में पानी पहुंचाना प्रशासन के लिए चुनौती साबित होगा।
मरम्मत कार्य को लेकर हर साल जल उपयोगिता संगम अध्यक्ष व किसान सीएडी प्रशासन से पुरजोर मांग करते हैं, बावजूद कोई ठोस निर्णय नहीं किए जाते। यहां बीते वर्षों में कराए पक्के निर्माण भी बारिश के पानी में क्षतिग्रस्त हो गए।

कापरेन. केशवरायपाटन. खरीफ की फसल में अतिव्रष्टि की मार झेल चुके किसान आगामी रबी की फसल को समय पर बेहतर उत्पादन के लिए अपने खेतों को खाली करने जुट गए। रबी की फसल के लिए किसानों को समय पर निर्बाध रूप से नहरी पानी उपलब्ध हो सके इसके लिए सीएडी प्रशासन भी नहरों में जल प्रवाह से पूर्व नहरों की साफ-सफाई एवं क्षतिग्रस्त सुरक्षा दीवारों की मरम्मत में जुट हुआ है।
जिससे जल प्रवाह के दौरान टेल क्षेत्र के अंतिम छोर तक किसानों को खेतों में रेलना करने एवं बाद में फसलों की सिंचाई में समस्या का सामना नहीं करना पड़े। क्षेत्र से गुजर रही केपाटन एवं कापरेन ब्रांच की दोनों मुख्य नहरों सहित इनसे जुड़ी वितरिकाओं एवं डिस्ट्रीब्यूटरी में सीएडी प्रशासन ने नरेगा के माध्यम से जंगल सफाई का कार्य शुरू कर दिया, लेकिन इससे यहां बेहतर परिणाम आते नहीं दिख रहे।?पिछले दिनों तेज बारिश के बाद क्षतिग्रस्त हुई मुख्य नहरों की सुरक्षा दीवारों पर मिट्टे डालने का काम कराया जा रहा है, लेकिन मुख्य ब्रांचों सहित वितरिकाओं के अंतिम छोर में मरम्मत का काम अभी नहीं हो पाया।?
जिससे जल प्रवाह के दौरान नहरी पानी के व्यर्थ बहने एवं अंतिम छोर तक समय पर पानी पहुंचाने में संकट झेलना पड़ेगा। क्षेत्र के कोडक्या गांव के समीप अभी भी केपाटन ब्रांच मुख्य नहर की सुरक्षा दीवार ठीक नहीं हुई। सीएडी ने मिट्टी के कट्टे रखवाकर खानापूर्ति पूरी कर ली। किसानों की माने तो अब तक नहरों एवं वितरिकाओं की सफाई का कार्य पूर्ण नहीं हो पाया। न ही क्षतिग्रस्त स्थानों पर मरम्मत कार्य पूर्ण हो पाया।?
आजन्दा निवासी किसान सत्यनारायण मीणा, जुगराज सिंह, देहीखेड़ा निवासी अशोक मीणा ने बताया कि समय पर पानी नहीं पहुंचने से टेल क्षेत्र के किसानों को हर बार डीजल इंजन लगाकर निजी साधनों से रेलना करना पड़ता हैं। वही बाद में भी फसलों की सिंचाई के समय काफी देर से पानी पहुंच पाता है।

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