बूंदीPublished: Nov 19, 2019 12:58:14 pm
पंकज जोशी
सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत कक्षा 9वीं के कमजोर विद्यार्थियों की अधिगम क्षमता वृद्धि के लिए विशेष शिक्षण (रेमेडियल टीचिंग) कक्षाएं लगाई जाएगी।
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने जारी किया आदेश,नतीजे सुधारने के लिए लगेगी विशेष कक्षाएं
-कक्षा 9वीं के कमजोर विद्यार्थियों का सुधरेगा शैक्षणिक स्तर
-बूंदी जिले में 23 हजार विद्यार्थियों का किया चयन
बूंदी. सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत कक्षा 9वीं के कमजोर विद्यार्थियों की अधिगम क्षमता वृद्धि के लिए विशेष शिक्षण (रेमेडियल टीचिंग) कक्षाएं लगाई जाएगी। इस कक्षा में वह विद्यार्थी सम्मिलित होंगे, जिनके कक्षा 8वीं के परीक्षा परिणाम में विज्ञान, अंग्रेजी व गणित विषय में ‘सी’ या ‘डी’ ग्रेड आई। राज्य सरकार ने ऐसे कमजोर विद्यार्थियों का शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए यह कदम उठाया। इसके लिए प्रदेशभर में जिलेवार विद्यार्थी चिह्नित कर बजट निर्धारित कर दिया गया। बूंदी जिले में इन कक्षाओं के लिए 23 हजार 823 विद्यार्थियों को चिह्नित कर लिया गया।
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के राज्य परियोजना निदेशक हरभान मीणा की ओर से जारी आदेश के अनुसार साठ दिन तक लक्षित समूह के विद्यार्थियों को विशेष शिक्षण संबंधित विषयध्यापक विद्यालय समय से पहले कराएंगे। इसकी अवधि 40 से 50 मिनट तक की होगी। शिक्षण के दौरान यह ध्यान दिया जाएगा की कक्षा आठवीं में विद्यार्थी की जिस विषय वस्तु में कमजोरी थी तथा उसका संबंध कक्षा 9वीं से भी है, इसी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसका पता शुरुआत में मूल्यांकन परीक्षा से भी लगाया जा सकेगा। ताकि नतीजे सुधारे जा सके।
पोर्टल पर सामग्री उपलब्ध
शिक्षकों को सुलभ संदर्भ के लिए राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से उपचारात्मक शिक्षण के लिए विशेष सामग्री भी समग्र शिक्षा पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएगी। कक्षा में लक्षित समूह के विद्यार्थियों को संबल प्रदान किया जाएगा। साथ ही अलग से उपस्थिति पंजिका संधारित की जाएगी। जो दो माह में बार-बार विद्यार्थियों का टेस्ट लेकर शिक्षण को मजबूत किया जाएगा।
प्रत्येक विद्यार्थी के लिए बजट निर्धारित
लक्षित समूह के विद्यार्थियों को अभ्यास पुस्तिका व अन्य सहायक सामग्री के लिए प्रति विद्यार्थी प्रति विषय के लिए 50 रुपए देय होंगे। उपचारात्मक शिक्षण प्रदान करने वाले शिक्षक को इस कार्य के लिए अलग से कोई मानदेय नहीं मिलेगा। इसमें संस्था प्रधानों की जिम्मेदारी यह रहेगी कि विषयध्यापक नहीं होने पर बीएड इंटर्न के माध्यम से शिक्षण कार्य कराने की व्यवस्था कराए। जहां बीएड इंटर्न भी उपलब्ध नहीं हो वहां विशेष शिक्षण के लिए योग्यताधारी विषय विशेषज्ञ व्यक्ति को लगाया जाए, ताकि किसी भी विषय संबंधित विद्यार्थियों को परेशानी नहीं उठानी पड़े।
ऐसे मिलेगी राशि
कक्षा 9वीं में विशेष शिक्षण के लिए प्रदेश में 11 लाख 34 हजार 276 बच्चे चिह्नित किए गए। जिनके लिए 56 7.138 लाख रुपए का बजट निर्धारित किया गया। विभागीय अधिकारियों की माने तो कई बच्चे एक विषय में तो कई तीनों में ही कमजोर है। ऐसे में इनका शिक्षण कार्य सुधारने के लिए राज्य सरकार ने यह कदम उठाया। तीनों विषयों में कमजोर बालक को 150 रुपए, 2 विषय में कमजोर को 100 रुपए व एक विषय में कमजोर का 50 रुपए का बजट निर्धारित किया गया।
समय-समय पर करेंगे अवलोकन
विशेष शिक्षण कक्षाओं के लिए मॉनिटरिंग भी करनी होगी। समय-समय पर संस्था प्रधान को कक्षाओं का अवलोकन कर पंजिका में शिक्षण व्यवस्था जांचनी होगी। मॉनिटरिंग की सम्पूर्ण जिम्मेदारी जिला परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा की होगी।
‘सरकार ने कमजोर विद्यार्थियों के शैक्षणिक स्तर को सुधारने को लेकर यह कदम उठाया। विद्यालयों में विशेष शिक्षण कक्षाएं शुरू करने के लिए सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए। विशेष कक्षा से ‘सी’ व ‘डी’ ग्रेड अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के स्तर को बेहतर किया जाएगा। इसके लिए बजट भी निर्धारित हो गया।’
राजेंद्र भारद्वाज, कार्यक्रम अधिकारी, समग्र शिक्षा अभियान, बूंदी