बूंदीPublished: Nov 11, 2019 09:08:10 pm
पंकज जोशी
कुंवर नैनसिंह की नगरी की दोनों झीलें कनकसागर व नवलसागर प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रही हैं।
झीलों की सौन्दर्यता को चुभ रहे बबूलों के शूल
नैनवां. कुंवर नैनसिंह की नगरी की दोनों झीलें कनकसागर व नवलसागर प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रही हैं। झीलों के बीच कभी कमल खिला करते थे, उनके स्थान पर विलायती बबूलों का उगा जंगल झीलों के सौन्दर्य को नष्ट कर दिया है। बबूलों के शूलों की बाधा के कारण झीलों में न नहाया जा सकता और न ही मवेशी पानी पी पाते हैं। कई वर्षों बाद झीलों में इतना पानी आया कि उनकी सुन्दरता में आए निखार को बबूलों ने नष्ट कर दिया। दोनों ही झीलों का अधिकांश हिस्सा बबूलों की चपेट आ गया। नहाते समय कोई भी बबूलों के बीच फंस जाए तो निकलना मुश्किल हो जाता है। कस्बे के बुजुर्गो के अनुसार 15वीं शताब्दी में जब किलेदार नाहर खानसिंह ने नैनवां को टाउन प्लानर के हिसाब से बसाया था तब कस्बे के चारों ओर बनाए विशालकाय परकोटे को ही झीलों का रूप दिया गया था। कस्बे के उत्तर वाले तालाब को कनकसागर व पश्चिम वाले तालाब को नवलसागर तालाब का नाम दिया था। झीलों पर नहाने की सुविधा के लिए आवश्यकतानुसार पुरुषों व महिलाओं के लिए अलग-अलग कई घाटों का निर्माण भी कराया था।