बूंदी

दो करोड़ का राजस्व देने वाली चम्बल किनारे की इस कृषि मंडी पर सरकार का नहीं कोई ध्यान…काश्तकारों के साथ हुआ यह

प्रतिवर्ष दो करोड़ का राजस्व देने वाली गौण कृषि उपज मंडी संविदा कर्मचारियों के भरोसे संचालित हो रही है।

बूंदीApr 13, 2019 / 02:04 pm

पंकज जोशी

दो करोड़ का राजस्व देने वाली चम्बल किनारे की इस कृषि मंडी पर सरकार का नहीं कोई ध्यान…काश्तकारों के साथ हुआ यह

कापरेन. प्रतिवर्ष दो करोड़ का राजस्व देने वाली गौण कृषि उपज मंडी संविदा कर्मचारियों के भरोसे संचालित हो रही है। वहीं विकास कार्य नहीं होने से किसान सुविधाओं से वंचित हैं।
बूंदी जिला मुख्यालय की कृषि उपज मंडी के बाद राज्य सरकार को सबसे अधिक राजस्व शहर की गौण कृषि उपज मंडी से ही प्राप्त हो रही हैं, लेकिन गौण मंडी को पूर्ण मंडी का दर्जा नहीं मिलने से विकास अटका हुआ है।
किसानों को भी पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। मंडी से प्रतिवर्ष डेढ़ से दो करोड़ का राजस्व मिलता है। इसके बावजूद गौण मंडी में वर्तमान में कोई भी सरकारी कर्मचारी नहीं होने है। ऐसे में समस्याओं के समाधान के लिए व्यापारियों एवं किसानों को केपाटन मंडी सचिव व उपखण्ड अधिकारी को अवगत करवाना पड़ता है। कृषि उपज मंडी समिति केपाटन सदस्य बाबूलाल गोयल, मंडी व्यापारी संघ अध्यक्ष राकेश गर्ग, पूर्व अध्यक्ष संतोष गर्ग आदि ने बताया कि गौण कृषि मंडी में डेढ़ सौ गांवों के किसान अपनी उपज को लेकर पहुंचते हैं और 30 से 40 लाइसेंसधारी व्यापारी गौण मंडी में खरीद फरोख्त का कार्य करते हैं। इसके बाद भी पूर्ण मंडी का दर्जा नहीं मिला है।
यहां पर विकास की दरकार
भारतीय किसान संघ के संतोष दुबे, किसान नवल मीणा, किसान नेता बलदेव सिंह आदि ने बताया कि गौण मंडी में बीते वर्षों में विकास कार्य तो हुए हैं, लेकिन मंडी में बढ़ती आवक एवं किसानों की संख्या को देखते पर्याप्त नहीं है। यहां दो टीनशेड यार्ड, सीसी प्लेटफार्म, ट्यूबवेल व सस्ते भोजन की सुविधा की दरकार है।
गौण मंडी से संबंधित सारी जानकारी उच्चाधिकारियों को भेजी जा चुकी है। कापरेन गौण मंडी में विकास कार्य के प्रस्ताव लिए गए हैं, जो जल्द शुरू करवाए जाएंगे।
नरेन्द्र सोनी, सचिव कृषि उपजमंडी, केशवरायपाटन

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