बूंदी

जीवंत हो उठी लोक संस्कृति

थानकों पर अलगोजों की धुन व ढोलक की थाप चलता रहा तेजाजी गायन

बूंदीAug 29, 2020 / 12:07 am

Abhishek ojha

जीवंत हो उठी लोक संस्कृति

नैनवां. अलगोजों की स्वर लहरियों के बीच तेजाजी के गीतों की धुन पर लोक कलाकारों के ठुमकों के साथ निकाली झण्डियों तेजाजी के थानकों पर चढ़ाने की रस्म की गई। कोरोना को लेकर जारी गाइड लाइन की पालना में झण्डियों के साथ गिनती के लोग ही चल रहे थे। नैनवां सहित उपखंड के गांवों में कही पर भी तेजाजी के मेलों का आयोजन तो नही हो सका लेकिन तेजाजी के थानकों पर पहुंचकर अलगोजों की स्वर लहरियों, मजीरों की रूनझुन व ढोलक की थापों पर लुप्त होती जा रही तेजाजी गायन की प्रस्तुतियों की लोक संस्कृति को जीवंत कर दिया। शुक्रवार को तेजा दशमी के दिन नैनवां में तेजाजी की झण्डी चढाने की रस्म के लिए गिनती के ही लोग कंकाली माता के मन्दिर से रवाना हुए। एक घ्ंटे पहले ही तेजाजी गायन के लोक कलाकारों की टोली कंकाली माता परिसर में पहुंचकर अलगोजों की धुन पर तेजाजी गायन का रंग बरसाती रही। झडी खानपोल दरवाजा होती हुई नवलसागर तालाब की पाल पर स्थित तेजाजी के थानक पर पहुंची। झण्डी के पहुंचने के बाद डसियां काटना शुरु किया। तेजाजी के थानक पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। उपखंड के गांवों में भी तेजाजी के थानक डसिया काटी गई।

Home / Bundi / जीवंत हो उठी लोक संस्कृति

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.