मुकेश की ये दर्द भरी दास्तां, सरकारों के उन दावों और योजनाओं की पोल खोलती नजर आ रही हैं, जिनमें गरीब, मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को योजनाओं के तहत फायदा पहुंचाने का दावा किया जाता है।
मजबूरी में बांधना पड़ता है लाल को
मुकेश के पिता धुमाराम बंजारा ने बताया कि ये जब 5 साल का तभी अचानक पागलों जैसी हरकत करने लगा। माता-पिता का कहना है कि उनका बेटा मानसिक रोगी है, जो लोगों को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए उसे जंजीरों से बांधकर रखना उनकी मजबूरी है। हालांकि मुकेश आजाद होने के लिए हर किसी से गुजारिश करता है। लेकिन उसकी इस हालत पर किसी का दिल नहीं पसीजता। मुकेश की माँ ने बताया कि कलेजे के टुकड़े को इस प्रकार बांधना अच्छा नहीं लगता, पर क्या करें मजबूरी में करना पड़ता है। ये कहते ही माँ का गला रुआंसा हो गया।
आर्थिक स्थिति बनी इलाज में बाधक
पड़ोसी राजू बंजारा ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से इलाज नहीं करवाया। लोगों के कहे अनुसार अपने स्तर पर इलाज भी करवाने की कोशिश की, लेकिन पैसों की कमी इलाज में बाधक बनी। जिसके बाद ईश्वर की नियति मानकर हार मान ली।
नहीं मिला सरकारी योजना का लाभ
सरकार भले ही गरीबों और मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए कई योजनाएं चला रही हों, लेकिन सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के चलते इन योजनाओं का लाभ उन तक नहीं पहुंच पाता। यही वजह है कि मुकेश जैसे लोगों को बेड़ियों में जकड़ कर रखना पड़ता है और ऐसे लोगों का पूरा जीवन नारकीय बन जाता है। जो मानवता लिए बड़े शर्म की बात है। जबकि बीपीएल होने के बावजूद भी किसी भी योजना में लाभ नहीं मिला। दो बीघा जमीन है, वो गिरवी रखी है।
इनका कहना है
मानसिक रोगी का इलाज जयपुर में निशुल्क होता है। ऐसा मामला है तो विभाग पेंशन योजना सहित सभी सुविधाएं मुहैया कराएगा। मैं खुद भी विमंदित के पिता से बात करूंगा। -रामराज मीणा, सहायक निदेशक, सामाजिक एवं न्याय अधिकारिता विभाग, बूंदी