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नेमीनाथ भगवान का जन्म व दीक्षा कल्याणक मनाया

locationबूंदीPublished: Aug 17, 2018 12:46:22 pm

Submitted by:

Devendra

नागदी बाजार स्थित मंदिर में विधान का आयोजन

nemeenaath bhagavaan ka janm va deeksha kalyaanak manaaya

नेमीनाथ भगवान का जन्म व दीक्षा कल्याणक मनाया

नागदी बाजार स्थित मंदिर में विधान का आयोजन
बूंदी. जैनधर्म के २२ वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ स्वामी का जन्म व दीक्षा कल्याणक गुरुवार को धूमधाम से मनाया। नागदी बाजार स्थित नेमीनाथ मंदिर में नेमीवीर महिला मंडल की ओर से मंडल विधान का आयोजन किया। जिसमें महिला-पुरुषों ने सामूहिक पूजा-अर्चना की।
विधान की शुरुआत भगवान की शांतिधारा के साथ हुई। इसके बाद सभी ने पूजा-अर्चना की। महिलाओं ने मंडलजी के समक्ष अघ्र्य चढ़ाया। भजनों की धुन पर महिलाओं ने नृत्य भी किए। रात्रि में भजन संध्या आयोजित हुई। जिसमें महिलाओं ने जैन भजनों की प्रस्तुतियां दी। अंत में आरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस दौरान ओम बाकलीवाल, कनकमाला पाटनी, महिला मंडल अध्यक्ष सुमन बाकलीवाल, तिलका झालानी, तारा बाकलीवाल, निर्मला पाटनी, रंजना पाटनी आदि मौजूद थी।
जत्था रवाना
दबलाना.कस्बे से गुरुवार को बरसात की कामना को लेकर मोटरसाईकिलों से सौ यात्रियों का जत्था तिलस्वां महादेव के लिए रवाना हुआ। यात्रियों को दबलाना आयुष चिकित्सक डॉ श्रीनाथ सोनी ने माला पहनाकर रवाना किया। जत्थे में हिण्डोली उप प्रधान राजेन्द्र सिंह हाड़ा, अशोक शर्मा, मुकेश जाजू, भवानी सिंह, देबीशंकर प्रजापत आदि शामिल है।
जागरण में उमड़े श्रद्धालु
भण्डेड़ा. पांच गांवों के ग्रामीणों ने तक्षक महाराज के थानक पर बुधवार रात को नाग पंचमी के मौके पर जागरण किया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने क्षेत्र में आमजन को जहरीले कीड़ों के प्रकोप से बचाने की प्रार्थना की। गाजे बाजे के साथ शुरू हुए जागरण में घोड़ी के साथ नृत्य का ग्रामीणों ने आंनद लिया। तेजाजी गायन की मण्डली से माहौल भक्तिमय हो गया।
भागवत कथा का समापन
झालीजी का बराना. जयस्थल गांव में चल रही भागवत कथा का समापन गुरुवार को हुआ। इस अवसर पर पं. जगदीश प्रसाद दाधीच ने कथा का महत्व बताते हुए कथा का सार बताया। उन्होंने कहा कि बच्चों में बचपन में ही अच्छे संस्कार दें। उन्होंने कहा कि मनुष्य जितना व्यस्त रहेगा, उतना ही स्वस्थ रहेगा। निष्काम भाव से भक्ति करने पर मनुष्य का जीवन सफल हो सकता है। बाद में महाआरती कर कथा का समापन हुआ।
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