बूंदीPublished: Apr 13, 2019 12:04:08 pm
पंकज जोशी
बिना सरकारी सहायता के कुछ महिलाओं ने समिति का गठन किया और अपना कारोबार शुरू कर दिया।
राजस्थान के इस छोटे से कस्बे में महिलाएं पहले घर की मुखिया और बाद में समाज के लिए बनी नजीर…जानने के लिए पढ़ें यह खबर
नैनवां. बिना सरकारी सहायता के कुछ महिलाओं ने समिति का गठन किया और अपना कारोबार शुरू कर दिया। अब कारोबार में सफलता मिलने से प्रत्येक महिला सदस्य के चेहरे खुशी से दमक रहे हैं। महिलाओं का यह कदम दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन गया है।
कस्बे की दस महिलाओं ने स्वयं का कारोबार शुरू करने के उद्देश्य से गत छह जनवरी को मोनिका गौड़ की अध्यक्षता में चारभुजा महिला सेवा संस्थान समिति का गठन किया। उसके बाद बटवाडिय़ा की टेक के पास एक मकान में सेनेट्री पैड बनाने का लघु प्लांट स्थापित कर कार्य शुरू कर दिया। प्लांट में समिति की अध्यक्ष सहित दस महिलाएं ही मशीनें चलाकर कच्चे माल से सेनेट्री पैड बना रही है तो एक दर्जन महिलाएं ही सेनेट्री पैड बेचने के लिए मार्केटिंग भी कर रही हैं।
यह मेटेरियल आता है काम
सेनेट्री पैड बनाने में पहला कच्चा माल पाइनवुड का पब काम में लिया जाता है। पब कनाडा से आयात होता है। इसमें तरल पदार्थ को सोखने की क्षमता रूई की अपेक्षा तीन गुना अधिक होती है। दूसरा कच्चा माल नॉन वुमन काम आता है। नॉन वुमन कपड़े से ज्यादा मुलायम होता है। तीसरा कच्चा माल वेलको टेप काम में लिया जाता है।
तैयार करने की विधि
प्लांट में सेनेट्री पैड बनाने में आठ मशीनों को काम में लिया जाता है। सबसे पहले पल्वलाइजर मशीन में पाइन वुड के पब को डाला जाता है। मशीन पब को कई टुकड़ों में विभक्त करती है। पब के टुकड़ों को प्रेशर मशीन में तीन सांचों में डाला जाता है। मशीन कम्प्रेशर की मदद से वेक्यूम प्रेशर से सांचों में पड़े पब को केक के रूप में ढाल देती है। उसके बाद केक का सीलिंग मशीन नॉनवुमन के साथ वेक्यूम प्रेशर व हीटर की मदद से जोड़ा जाता है। फिर मेटेरियल को कटर मशीन से काटा जाता है। उसके बाद वेलको टेप लगाकर पैड को यूवी चेम्बर में रखा जाता है। यूवी चेम्बर से निकालने के बाद मार्केटिंग के लिए विक्रय टीम को दिया जाता है।
सेनेट्री पैड बनाने के इस लघु उद्योग को स्थापित करवाने में सबसे ज्यादा सहयोग कस्बे की सामाजिक कार्यकर्ता व पालिकाध्यक्ष मधुकंवर का रहा है। जिन्होंने संस्थान को प्लांट स्थापना के लिए अपनी जेब से कुछ आर्थिक सहयोग भी उपलब्ध कराया था। अभी 22 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है।
मोनिका गौड़, अध्यक्ष, चारभुजा महिला सेवा संस्थान