Read more: सेल्फी बनी गुणवक्ïता सुधर का जरिया, राजकीय छात्रावासों में आवासीय विद्यालयों में अनदेखी पड़ेगी भारी साढ़े तीन हजार की आबादी वाले बाछोला गांव में धोबी मोहल्ला, कुम्हार मोहल्ला, अटल सेवा केन्द्र, रामतलाई के पास व विद्यालय परिसर में पांच सरकारी नलकूप व 57 हैंडपंप लगे हुए हैं। नलकूप व हैंडपंप का पानी तो एक माह पूर्व ही रीत चुका है। गांव से सटी बंजारा बस्ती में पांच सौ की आबादी है। इस बस्ती में लगे गणेशजी के पास व बस्ती के बीच का नलकूप व पांच हैंडपम्प का भी पानी रीत गया।
इस बस्ती की महिलाओं को सर्दी के बीच तड़के चार बजे से ही नलकूप पर इतनी भीड़ जुट जाती है कि खाना बनाने के लिए पानी की व्यवस्था में ही दोपहरी हो जाती है। हाल यह बने हुए हैं कि दो-दो घंटे तक बैठे रहो तब जाकर एक मटकी पानी भरता है। ग्रामीणों ने कहा कि सर्दी में ही संकट आ गया तो गर्मी के दिनों में क्या होगा?
इस बस्ती की महिलाओं को सर्दी के बीच तड़के चार बजे से ही नलकूप पर इतनी भीड़ जुट जाती है कि खाना बनाने के लिए पानी की व्यवस्था में ही दोपहरी हो जाती है। हाल यह बने हुए हैं कि दो-दो घंटे तक बैठे रहो तब जाकर एक मटकी पानी भरता है। ग्रामीणों ने कहा कि सर्दी में ही संकट आ गया तो गर्मी के दिनों में क्या होगा?
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पहले पानी का जुगाड़, बाद में चूल्हा-चौका
पत्रिका संवाददाता रविवार सुबह साढ़े सात बजे बाछोला गांव में पहुंचा तो गांव से पहले स्थित बंजारा बस्ती में पानी का संकट देखने को मिला। पानी की किल्लत के चलते पानी के जुगाड़ में गृहणियों की दिनचर्या ही बदल गई। बस्ती से दो किमी दूर एक निजी नलकूप पर पानी भरने आई महिलाओं ने कहा कि घरों पर चूल्हे-चौके का काम छोड़कर अपनी बारी के इंतजार में बैठे थी। वही बंजारा बस्ती की दसवीं में पढऩे वाली छात्रा नीतू बंजारा व बीए प्रथम वर्ष में पढऩे वाली संजू बंजारा ने बताया कि पानी का जुगाड़ करने के बाद ही पढऩे जाते हैं।
पहले पानी का जुगाड़, बाद में चूल्हा-चौका
पत्रिका संवाददाता रविवार सुबह साढ़े सात बजे बाछोला गांव में पहुंचा तो गांव से पहले स्थित बंजारा बस्ती में पानी का संकट देखने को मिला। पानी की किल्लत के चलते पानी के जुगाड़ में गृहणियों की दिनचर्या ही बदल गई। बस्ती से दो किमी दूर एक निजी नलकूप पर पानी भरने आई महिलाओं ने कहा कि घरों पर चूल्हे-चौके का काम छोड़कर अपनी बारी के इंतजार में बैठे थी। वही बंजारा बस्ती की दसवीं में पढऩे वाली छात्रा नीतू बंजारा व बीए प्रथम वर्ष में पढऩे वाली संजू बंजारा ने बताया कि पानी का जुगाड़ करने के बाद ही पढऩे जाते हैं।