यह भी पढ़ें
माह-ए-रमज़ान: बरसती आग के बीच मासूमों ने दिया सब्र का इम्तिहान
बड़े तो बड़े बच्चों ने भी रोजा रखकर नमाज अदा की। मदीना मस्जिद, जामा मस्जिद , बिस्मिल्लाह मस्जिद, एकमिनार मस्जिद सहित शहर की मस्जिदों में बच्चे भी नई पौशाक पहन खुदा की इबादत में सर झूकाएं खुशहाली की दुआ मांगी। इस मोके पर लोगो ने अच्छी बारिश की कामना की। यह भी पढ़ें
रोहिणी दिखाएगी रौद्र रूप या देगी सुकून जानने के लिए पढ़िए यह ख़बर…
रमजान के दूसरे जुमे (शुक्र वार) पर मस्जिदों में रोजे के साथ नमाज की अहमियत पर चर्चा की गई। मोमिनों ने अल्लाह की इबादत में सिर झुकाए। मस्जिदों में आम दिनों की अपेक्षा ज्यादा रौनक नजर आई। बड़ों के साथ बड़ी संख्या में बच्चों ने भी नमाज पढ़ी।
यह भी पढ़ें
इफ्तार से पहले आखिर क्यों करते है इस फल का सेवन… क्या है इसकी पौराणिक और वैज्ञानिक मान्यता जानने के लिए पढि़ए यह खबर…
मस्जिदों के बाहर सेवइयों तथा खजूर की दुकानों पर रोजेदार खरीदारी में जुटे थे। मस्जिदों में इमाम ने अल्लाह, रसूल के फरमानों का जिक्र किया। समझाया कि जिसने रोजे और नमाज की अहमियत समझ ली, उसने जिदगी में सुकून हासिल कर लिया। यह भी पढ़ें
माह-ए-रमज़ान: रमज़ान की खुशियों के आगे तपती गर्मी भी नही बनी बाधा
मौलाना असलम ने बताया कि जन्नत का हकदार वही है, जो ईमान पर चल रहा है। नमाज अल्लाह के करीब लाती है। उन्होंने कहा कि रोजा अल्लाह का शुक्रिया अदा करने का मौका देता है। ईमान वाला इंसान ही अल्लाह को पसंद है। यह भी पढ़ें