सरकार को इस कदम से करीब 7 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है लेकिन 18 लाख बकाएदारों को राहत मिली है। हालांकि सरकार के लिए भी यह फैसला राहत भरा है क्योंकि इस फैसले से अब सरकार के पास लंबित 18 लाख मामले एक साथ निपट जाएंगे। जिन 18 लाख बकाएदारों का टैक्स माफ किया गया है उनमें से अधिकतर मामले तीन साल से पुराने हैं। इस फैसले से लंबित मामलों में कमी आएगी और अधिकारी बड़े डिफॉल्टरों से टैक्स वसूलने के लिए अधिक प्रयास कर सकेंगे।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि अभी तो 100 रुपए तक का टैक्स माफ किया गया है लेकिन आने वाले वक्त में इस वसूली पर लगने वाले खर्च और मिलने वाले टैक्स की तुलना के आधार पर इस सीमा को और बढ़ाया जा सकता है। सरकार ने टैक्स माफ करने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि 18 लाख लोगों से 100 रुपए तक के बकाया आयकर को वसूलने में जितने पैसे खर्च होते,उतना तो इन 18 लाख मामलों से सरकार को टैक्स भी नहीं आता।
इस फैसले से सरकार का पैसा और समय दोनों ही बचेंगे। इसी तरह से 100 और 5 हजार रुपए तक के बकाया टैक्स के करीब 22 लाख मामले सरकार के पास लंबित हैं। बकाया टैक्स माफ करने का फैसला केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने लिया और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे हरी झंडी दे दी। जेटली ने इस कदम को डेलीगेशन ऑफ पावर रूल्स 1978 के तहत मंजूरी दी है जिसमें वित्त मंत्री को कोई भी बकाया कर माफ करने का अधिकार है।