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घुमाव बने ब्लैक स्पॉट, सर्विस रोड के मोड पर बंद रहती है लाइट

एनएच 148डी पर कई घुमाव दिए हुए है। घुमावों पर ही सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हो रही है। घुमाव ही दुर्घटना सम्भावित स्थान (ब्लैक स्पॉट) बने हुए है। जहां पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। टोपा एनिकट मोड़, महावीरपुरा के पास, जजावर बायपास का मोड़, कुम्हराला बालाजी मोड़, जुवानो का झोपड़ा मोड़, बरडा का बालाजी मोड़, कचरावता, समरावता मोड़ दुर्घटना सम्भावित स्थान (ब्लैक स्पॉट) बने हुए है।

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घुमाव बने ब्लैक स्पॉट, सर्विस रोड के मोड पर बंद रहती है लाइट

नैनवां. एनएच 148डी पर नगर मोड पर लगा मवेशियों का जमावड़ा।

नैनवां. एनएच 148डी पर कई घुमाव दिए हुए है। घुमावों पर ही सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हो रही है। घुमाव ही दुर्घटना सम्भावित स्थान (ब्लैक स्पॉट) बने हुए है। जहां पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। टोपा एनिकट मोड़, महावीरपुरा के पास, जजावर बायपास का मोड़, कुम्हराला बालाजी मोड़, जुवानो का झोपड़ा मोड़, बरडा का बालाजी मोड़, कचरावता, समरावता मोड़ दुर्घटना सम्भावित स्थान (ब्लैक स्पॉट) बने हुए है। टोपा एनिकट मोड़, जजावर बायपास व कुम्हराला बालाजी के पास के घुमाव पर दुर्घटनाएं हो रही है। कई जगह पर सडक़ पर डामर भी उखड़ा हुआ है। एनएचएआई द्वारा समय पर मरम्मत नही करवाई जाती। नैनवां बायपास पर रजलावता मोड़ से कीरो का झोपड़ा तक जगह-जगह हाइवे पर मवेशियों के जमावड़ा लगा रहता है, जो भी वाहनों के लिए दुर्घटनाओं का कारण बने हुए है। सडक़ पर बैठे मवेशी नजर नही आने से बाइक सवार तो आए दिन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे है।

अधिकांश समय बंद रहती हाई मास्क लाइटें
एनएचएआई ने हाइवे के प्रमुख सर्विस रोड मोड़ रजलावता, नगर रोड, बालाजी मोड़, कोरमा मोड़, कीरो का झोपड़ा मोड़, जजावर, रुनिजा, गोठड़ा व मेंडी के मोड़ो पर रोशनी के लिए बिजली के खंभे खड़े कर हाई मास्क लाइटें तो लगा रखी है, लेकिन यह लाइटें अधिकांश समय बंद ही रहती है। जिससे रात होते ही इन मोड़ो पर अंधेरा हो जाता है।

ट्रोमा सेंटर खोला, चिकित्सक नही लगाए
राज्य सरकार ने नैनवां से निकल रहे एनएच 148डी व एसएच-34 पर होने वाली दुर्घटनाओं में घायलों के तत्काल उपचार की सुविधा के लिए नैनवां में ट्रोमा सेंटर खोला था। सरकार ने ट्रोमा सेंटर तो खोल दिया लेकिन उसमें चिकित्सकों की नियुक्ति नही होने से घायलों को बूंदी-कोटा रेफर करना पड़ रहा है। ट्रोमा सेंटर में चिकित्सक नियुक्त हो जाए तो दुर्घटनाओं में घायलों को तत्काल उपचार मिलने से उनकी जान बच सकती है।

प्रोजेक्ट निदेशक ने बस इतना सा कहा
राष्ट्रीय राजमार्ग के प्रोजेक्ट निदेशक संदीप अग्रवाल ने बस इतना सा कहा कि साइट स्टाफ से बात करते है। फोन काट दिया।

थाने की सीमाओं को लेकर होता है विवाद
एनएच 148डी पर रजलावता से लेकर पलाई गांव तक 15 किमी की दूरी में सडक़ की भौगोलिक स्थिति ऐसी बनी हुई है कि सडक़ के एक तरफ बूंदी जिले के नैनवां थाने की तो दूसरी तरफ टोंक जिले नगरफोर्ट थाने की सीमा है। सीमाओं पर थानों की सीमाओं के बोर्ड लगे हुए नही होने से कई बार असमंजस की स्थित बन जाती है कि दुर्घटना किस थाना क्षेत्र में हुई है। दुर्घटना के बाद दोनों थानों की पुलिस को मौके पर पहुंचकर थाना सीमा का निर्धारण करना पड़ जाता है। सडक़ पर 15 किमी में सडक़ पर बम्बूली मोड़ तक नैनवां थाने की तो समरावता से कचरावता के आगे तक नगरफोर्ट थाने की फिर उसके आगे कासपुरिया व गलवा नदी की पुलिया तक की सीमा नैनवां थाने में पड़ती है।