बूंदी शहर का दायरा बढऩे के साथ संसाधन भी बढ़े, लेकिन समस्या जस की तस दिख रही। डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने के बावजूद जगह-जगह कचरे के ढेर और गंदगी से भरी नालियां स्वच्छता मिशन को मुंह चिढ़ा रही। यों तो नगर परिषद की ओर से शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन शहर की पीड़ा शहर ही जान रहा। शहर में जगह-जगह कूड़ाघर बन गए। कई कॉलोनियों के मुहानों पर ही गंदगी के ढेर दिखाई पड़ रहे। शहर की न्यू कॉलोनी, जिसमें विधायक का आवास भी, लेकिन यहां के हालात किसी से छिपे नहीं। चाहे सीएडी विभाग के ऑफिस के पास की गली हों या फिर सिविल लाइन से प्रशासनिक अधिकारियों के आवास के निकट से निकल रहा रास्ता हों, दोनों में ही गंदगी के ढेर में दर्जनों मवेशी मुंह मारते दिखाई दे जाएंगे। इन हालातों के बाद भी यहां कोई जिम्मेदार गौर नहीं कर रहा। स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में स्वच्छता अभियान चल रहा, लेकिन इस अभियान का भी यहां कोई असर नहीं दिख रहा।
स्वच्छता रैंकिंग में आई गिरावट के बाद जिला प्रशासन और नगर परिषद ने कई दावे किए। जिला प्रशासन ने प्रशासनिक अधिकारियों को सेक्टर प्रभारी बनाया, लेकिन यह व्यवस्था दो दिन नहीं चली। किसी अधिकारी ने जाकर तक नहीं देखा। नगर परिषद अधिकारियों का तो मानों इससे सरोकार ही नहीं।
सवा लाख आबादी के बूंदी शहर में 450 सफाई कर्मियों की जरूरत बताई। एक हजार की आबादी में अनुमानित 4 सफाई कर्मी होने चाहिए। इस हिसाब से शहर की करीब सवा लाख आबादी पर 450 सफाइकर्मी हों। नगर परिषद के पास वर्तमान में करीब 246 सफाई कर्मी ही बताए। इसमें से 10 से 15 कर्मचारी नगर परिषद की अलग-अलग शाखाओं में बाबू का काम देख रहे। जानकार सूत्रों ने बताया कि कुछ सफाई कर्मचारियों का तो नगर परिषद अधिकारियों को भी पता नहीं कि वह कहां सेवा दे रहे। नगर परिषद में अभी सफाइकर्मियों के 297 पद स्वीकृत बताए। शहर में जगह-जगह फैली गंदगी और कूड़े के ढेर से निजात दिलाने के लिए नगर परिषद की ओर से ठेकाकर्मी की भर्ती की गई थी, ताकि सफाई कर्मियों की संख्या बढ़े और शहर में नियमित सफाई के साथ कूड़े को उठवाया जा सके। लेकिन नगर परिषद में सफाई कर्मियों की संख्या बढऩे के बाद भी शहर में गंदगी को लेकर हालात जस के तस दिख रहे।
साल दर साल बिगड़ रहे हाल
वर्ष 2017 में बूंदी को प्रदेश में बेहतर साफ-सफाई के लिए सम्मान मिला था। अब करोड़ों रुपये सफाई पर खर्चने के बाद हाल बुरे हो गए।
अधिकारी और जनप्रतिनिधि कर रहे अनदेखी, विपक्ष मौन
नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी भी शहर में बेहरतर सफाई नहीं होने की बात स्वीकारते हैं, लेकिन इसे कैसे ठीक किया जाए इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। अधिकारी इस मामले में सिर्फ औपचारिकता कर रहे। बीते कुछ माह की ही बात करें तो नगर परिषद आयुक्त ने भी सफाई व्यवस्था को लेकर शहर का जायजा नहीं लिया होगा। इस मामले में सत्ता पक्ष के पार्षद ही आवाज उठा रहे। विपक्ष की ओर से इस मुद्दे पर ठोस तरीके से आवाज नहीं उठाई गई। जबकि चाहे पर्यटन क्षेत्र बालचंद पाड़ा हों या फिर प्रमुख मार्ग कोटा रोड, सडक़ के किनारे ही झाड़-झंखाड़ और गंदगी दिख रही।
सफाई तो बेहतर कराओ सा’ब
बूंदी ञ्च पत्रिका. शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर शहर के माटूंदा रोड निवासी महेन्द्र सिंह, मनीषा सिंह, गजेन्द्र कुमार ने कहा कि सफाई के हालातों को एकबार जिम्मेदार यहां आकर देखे। सफाई नहीं करा रहे, ऐसे लोगों को सीट पर बैठने का ही अधिकार नहीं। चंपाबाग के दरवाजे के निकट निवासी शबनम ने कहा कि सफाई तो बेहतर कराओ सा’ब। ऐसे हालात पहले कभी नहीं दिखे। कचरे के ढेर में दिनभर मवेशी मुंह मार रहे। इन्हें उठाने कई-कई दिनों में आ रहे। शहर के रतनबुर्ज के पास मोहन सिंह, जितेन्द्र सैनी, रामप्रकाश वर्मा ने बताया कि नालियों की सफाई हों। यहां जिलेभर के लोग आते हैं। ऐसे हालात तो गांवों में नहीं दिखते होंगे। जिम्मेदार अधिकारियों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। जितेन्द्र सिंह हाड़ा ने कहा कि सफाई की ही व्यवस्थाएं ठीक नहीं हो रही, ऐसे में और सुविधा की ओर कैसे ध्यान देंगे।
शहर के प्रमुख स्थान रतनबुर्ज के आस-पास ही गंदगी के ढेर लगे दिख रहे। इसके सामने चौराहे के फव्वारे बंद हुए वर्षों हो गए। इसे भी कचरा पात्र बना दिया। इसके आस-पास की नालियों की सफाई हुए तो मानों कई साल हो गए। लंकागेट पर नालियों का पानी सडक़ पर बह रहा।
महावीर सिंह सिसोदिया, आयुक्त, नगर परिषद, बूंदी