read more : बैठक में संवाद होना चाहिए बवाल नहीं
वर्षों से बंद पड़ा मेडिकल भवन
जानकारों के अनुसार करीब दो वर्ष पहले जिला अस्पताल में मेडिकल वार्ड के ऊपर नया मेडिकल वार्ड का भवन बनाया गया था। जिसकी लागत लगभग चालीस लाख से अधिक बताई। ऊपरी मंजिल पर भवन में रोगियों को ले जाने के लिए लगभग 14 लाख की लागत से रैंप का निर्माण कराया गया। तब से पचास पलंग का नया मेडिकल वार्ड धूल खा रहा है। जो आम रोगियों के लिए काम नहीं आ रहा है।
वर्षों से बंद पड़ा मेडिकल भवन
जानकारों के अनुसार करीब दो वर्ष पहले जिला अस्पताल में मेडिकल वार्ड के ऊपर नया मेडिकल वार्ड का भवन बनाया गया था। जिसकी लागत लगभग चालीस लाख से अधिक बताई। ऊपरी मंजिल पर भवन में रोगियों को ले जाने के लिए लगभग 14 लाख की लागत से रैंप का निर्माण कराया गया। तब से पचास पलंग का नया मेडिकल वार्ड धूल खा रहा है। जो आम रोगियों के लिए काम नहीं आ रहा है।
स्वास्थ्य भवन का नहीं मिला रास्ता
सूत्रों के अनुसार वन विभाग कार्यालय के पीछे की ओर 153.92 लाख की लागत से स्वास्थ्य भवन का निर्माण करवाया गया। उक्त भवन को ठेकेदार ने 13 सितम्बर 2017 को सीएमएचओ को संभला दिया था। तब से भवन के दरवाजे पर ताला लगा हुआ है। भवन में प्रवेश करने वाले रास्ते को लेकर विवाद चल रहा है। एक सरकारी महकमा सीएमएचओ को स्वास्थ्य भवन में जाने के लिए नक्शे में प्रस्तावित रास्ते पर एतराज कर रहा है। ऐसे में ठेकेदार को भी रास्ते का निर्माण नहीं करने दिया। जबकि भवन बनकर तैयार हैं, लेकिन भवन तक जाने के लिए रास्ता नहीं दिया जा रहा है। इन हालातों में लाखों की लागत से बना स्वास्थ्य भवन धूल खा रहा है। उपयोग नहीं होने से नए भवन की दुर्दशा हो रही है।
सूत्रों के अनुसार वन विभाग कार्यालय के पीछे की ओर 153.92 लाख की लागत से स्वास्थ्य भवन का निर्माण करवाया गया। उक्त भवन को ठेकेदार ने 13 सितम्बर 2017 को सीएमएचओ को संभला दिया था। तब से भवन के दरवाजे पर ताला लगा हुआ है। भवन में प्रवेश करने वाले रास्ते को लेकर विवाद चल रहा है। एक सरकारी महकमा सीएमएचओ को स्वास्थ्य भवन में जाने के लिए नक्शे में प्रस्तावित रास्ते पर एतराज कर रहा है। ऐसे में ठेकेदार को भी रास्ते का निर्माण नहीं करने दिया। जबकि भवन बनकर तैयार हैं, लेकिन भवन तक जाने के लिए रास्ता नहीं दिया जा रहा है। इन हालातों में लाखों की लागत से बना स्वास्थ्य भवन धूल खा रहा है। उपयोग नहीं होने से नए भवन की दुर्दशा हो रही है।
बिना उपयोग ही खराब होंगे उपकरण
लंबे समय से नए भवन बनकर तैयार हैं। इनमें विद्युत व पानी की लाइनें डालने सहित तमाम कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन भवन का उपयोग नहीं होने से इनमें लगाए गए उपकरणों की गुणवत्ता का पता नहीं चल पा रहा है। ऐसे में जब भवन का उपयोग होना शुरू होगा तब तक ठेकेदार सहित सभी की गारंटी खत्म हो चुकी होगी। इससे कोई भी समस्या आने पर मरम्मत करवाना मुश्किल हो जाएगा।
लंबे समय से नए भवन बनकर तैयार हैं। इनमें विद्युत व पानी की लाइनें डालने सहित तमाम कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन भवन का उपयोग नहीं होने से इनमें लगाए गए उपकरणों की गुणवत्ता का पता नहीं चल पा रहा है। ऐसे में जब भवन का उपयोग होना शुरू होगा तब तक ठेकेदार सहित सभी की गारंटी खत्म हो चुकी होगी। इससे कोई भी समस्या आने पर मरम्मत करवाना मुश्किल हो जाएगा।
मंदबुद्धि बच्चों को भी नहीं सुविधा
मातृ एवं शिशु चिकित्सालय भवन के ऊपरी हिस्से में लगभग 58 लाख की लागत से डीआईसी भवन बनकर तैयार है। उक्त भवन में 18 से 20 साल के मंदबुद्धि बच्चों का उपचार किया जाना था।
मातृ एवं शिशु चिकित्सालय भवन के ऊपरी हिस्से में लगभग 58 लाख की लागत से डीआईसी भवन बनकर तैयार है। उक्त भवन में 18 से 20 साल के मंदबुद्धि बच्चों का उपचार किया जाना था।
सीएमएचओ, बूंदी के डॉ.सुरेश जैन, ने बताया कि स्वास्थ्य भवन को शिफ्ट करने की तैयारी शुरू कर दी। एक दो दिन में भवन शुरू कर देंगे। जिला अस्पताल, बूंदी के पीएमओ डॉ.नवनीत विजय ने बताया कि डीआईसी तो आरबीएसके वाले उपयोग में लेंगे। भवन हमारे यहां बना हुआ है। वहीं मेडिकल वार्ड तो एक ही जगह चलेगा। नए वार्ड को शुरू करने के प्रयास जारी हैं।